नई दिल्ली, 08 अप्रैल, (शोभना जैन/वीएनआई) देश में चुनावी ज्वर में घरेलू चुनावी मुद्दों के अलावा परदेस के भी एक मंदिर से जुड़ा मुद्दा तेजी से चर्चा में आ गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त अरब अमीरात द्वारा देश के सर्वो्च्च नागरिक और प्रतिष्ठित 'जायद मेडल' पुरस्कार से सम्मानित किये जाने की घोषणा के बाद से ्चर्चा हैं कि क्या चुनावी मौसम में पीएम मोदी यह पुरस्कार ग्रहण करने खुद वहा जायेंगे और इस दौरान अबू धाबी मे देश के पहले हिंदू मंदिर का शिलान्यास करेंगे. इस चुनावी मौसम में विदेश यात्रा से जुड़े मंदिर के शिलान्यास के राजनैतिक या यूं कहे चुनावी पहलू के साथ ही राजनयिक पहलू , उस के औचित्य, परदेस में मंदिर का शिलान्यास और आदर्श चुनाव संहिता के दायरे को ले कर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं...
दरसल मुद्दा प्रधान मंत्री की विदेश यात्रा नही हैं , विदेश यात्रा वह कभी भी कर सकते है, अहम मुद्दा है इस यात्रा के होने की स्थति में उन के हिंदू मंदिर के शिलान्यास करने का. हिंदू मतदाताओं की आस्था से जुड़े परदेस के मंदिर मुद्दे से देश में हिंदू मतदाता भी प्रभावित होगा. भाजपा समर्थक उसे हिंदू गौरव के रूप में पेश करेंगे.सत्ता पक्ष के एक नेता का कहना है कि सम्मान भारत के लिये गौरव का विषय हैं और अगर पी एम इसे ग्रहण करने के लिये वहा जाते भी हैं और मंदिर का भी शिलान्यस करते है तो उसे राष्ट्र के गौरव के रूप में देखा जाना चाहिये. हालांकि इस यात्रा को लेकर अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई घोषणा/टिप्पणी नही की गई है लेकिन ऐसी भी अटकले हैं दोनों देश इस यात्रा की तैयॉरिया कर रहे हैं. हो सकता हैं कि प्रधान मंत्री आगामी 20 अप्रैळ को एक उच्च्स्तरीय शिष्टमंडल के साथ अमीरात का संक्षिप्त दौरा करें और पुरस्कार ग्रहण करने के साथ ही इस मंदिर का शिलान्यास भी करें.
बहरहाल यहा बात य़ात्रा से जुड़ी डिप्लोमेसी की.. अनेक पूर्व राजनयिको का कहना हैं कि भले ही यह घरेलू राजनीति से जुड़ा मुद्दा हो लेकिन दोनों देशों के दीर्घ कालिक रिश्तों के लिये चुनावी मौसम में फिलहाल वहा जा कर मंदिर का भूमि पूजन करने के लिये यह समय सही नही हैं.गौरतलब है कि प्रधान मंत्री मोदी की गत वर्ष फरवरी की अबू धाबी यात्रा में पीएम ने इस मंदिर का भूमि पूजन किया था जबकि वे दुबई में विश्व आर्थिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने दुबई गये थे . तब वहा पर उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भी संबोधित किया था . तब भी भारत में अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर की खासी चर्चा रही थी और भाजपा समर्थक वर्गों ने इसे आस्था से जुड़ी उपलब्धि से जोड़ा था.दरअसल 2015 के बाद से भारत और अरब अमीरात के बीच रिश्तों मे नयी प्रगाढता आयी.्दोनों देशों के शिखर नेतृत्व के बीच अनेक मुलाकाते हुई, उभयपक्षीय सहयोग के समझौते हुए.पी एम मोदी ने पिछले वर्ष फरवरी में प्रधानमंत्री के रूप में दूसरी बार यूएई का दौरा किया था और युवराज मोहम्मद बिन जायद के साथ विस्तृत चर्चा की थी। इस चर्चा के बाद दोनों पक्षों ने ऊर्जा क्षेत्र, रेलवे, श्रमशक्ति और वित्तीय सेवाओं से संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर किये थे। प्रधानमंत्री ने अगस्त 2015 में यूएई की पहली यात्रा की थी।
पीएम मोदी को यह सम्मान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को 'काफी बढ़ावा' देने के लिए दिया गया. यूएई के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान ने राजाओं, राष्ट्रपतियों और राष्ट्राध्यक्षों को दिए जाने वाले इस सर्वोच्च सम्मान से प्रधानमंत्री मोदी को सम्मानित किये जाने की कल घोषणा की. इस मौके पर अबुधाबी के युवराज मोहम्मद बिन जायद ने कहा, 'हमारे प्रिय मित्र भारतीय प्रधानमंत्री को जायद मेडल देकर हमनें विभिन्न क्षेत्रों में यूएई और भारत के बीच मैत्री संबंध बनाने और संयुक्त रणनीतिक सहयोग को और बढ़ाने में उनकी भूमिका के प्रति सम्मान जाहिर किया है.पी एम मोदी ने पुरस्कार दिये जाने की घोषणा के बाद आभार व्यक्त करते हुए कहा ्कि दोनों देशों के बीच सामरिक साझीदारी नयी उंचाईयों को छू रही है और दोनो देशों की जनता और संपूर्ण पृथवी पर शांति और सम्र्द्धि में अपना योगदान दे रही हैं.
पूर्व राजदूत एवं पश्चिम एशिया मामलों के विशेषज्ञ अनिल त्रिगु्णायत के अनुसार पीएम मोदी का यह सम्मान भारत अमीरात के प्रगाढ होते रिश्तों का द्दोतक हैं.अमीरात एक समान्वेशी समाहित व्यवस्था वाले देश के रूप मे उभर रहा हैं, जहा असहिष्णुता है, इस मंदिर के लिये शहजादे शेख मोहम्मद बिन जायद द्वारा भूमि दिया जाना भारत के प्रति बढती मैत्री और सहिष्णु समाज का प्रतीक है. विदेश नीति के लिये पुरस्कार और बढते रिश्तें अच्छी बात हैं लेकिन साथ ही उन का मानना हैं कि चूंकि यह चुनावी मौसम हैं तो चुनाव आयोग से पूछ कर ही यह यात्रा की जानी चाहिये" उनका मानना हैं कि वैसे पीम मोदी स्वयं काफी विचार कर के ही वहा जायेंगे." एक अन्य पूर्व राजनयिक का कहना हैं कि पुरस्कार भारत के लिये सम्मान की बात है लेकिन निश्चित तौर पर मोदी समर्थक उस का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिये करेंगे जो कि डिप्लोमेसी के लिये उचित नही हैं.
मंदिर के लिये अमीरात ने 55,000 वर्ग कि.मीं की जमीन उपहार में दी हैं.गौरतलब हैं कि अमीरात मे लगभग 28 लाख प्रवासी भारतीय रहते है. इस से पूर्व चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग, ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशरफ ्को भी यह पुरस्कार मिल चुका हैं. समाप्त
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