मुंबई,5 अप्रैल( अनुपमाजैन/वीएनआई) रिजर्व बैंक ने आज ब्याज दरों में कुछ कटौती की घोषणा कर दी जिससे आम आदमी को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. आर बी आई ने 25 बेसिक प्वाइंट की कटौती कर दी जिससे अब केंद्रीय बैंक की ब्याज दर 6.50 प्रतिशत हो गयी है. इससे ग्राहकों को सस्ते इएमआइ व अन्य घरेलू लोन दरो मे राहत मिल सकेगी का लाभ मिलेगा आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 0.25 फीसदी के बाद अगर होम लोन पर 0.25 फीसदी कटौती कर रहे है तो 25 से 30 लाख के लोन पर सा लाना 4000 तक की बचत हो सकती है.इससे पहले देश के अग्रणी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने एक अप्रैल से होम लोन रेट सस्ती कर दी है। पहले यह रेट 9.5 फीसदी थी, जिसे घटाकर 9.4 फीसदी कर दिया गया है। इस तरह कार लोन भी सस्ता हो सकता है.
हालांकि ब्याज दरों में कटौती की खबर के बाद बैंकिंग शेयर जबरदस्त टूटे. बैंक निफ्टी अगले कुछ ही मिनटों में 300 प्वाइंट नीचे चला गया. वहीं, दिन के साढ़े बारह बजे के आसपास शेयर बाजार के दोनों अहम सूचकांक में 1.41 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी. सेंसेक्स जहां 357 अंक टूटे वहीं निफ्टी में 109 अंक की गिरावट आयी. रिजर्व बैंक ने सीआरआर को चार प्रतिशत रखने की बात कही है. आरबीआइ ने कहा कि वह आने वाली दिनों में भी नीतिगत नरमी का रुख बनाए रखेगा. आरबीआइ ने नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) के लिए दैनिक स्तर पर न्यूनतम 95 प्रतिशत कोष बनाए रखने की अनिवार्यता को घटाकर 90 प्रतिशत किया जो 16 अप्रैल से प्रभावी होगी.
आरबीआइ ने 2016-17 के लिए वृद्धि का अपना अनुमान 7.6 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. आरबीआइ का अनुमान है कि सातवें वेतन आयोग से दो साल में मुद्रास्फीति पर 1-1.5 प्रतिशत असर होगा. वित्त वर्ष 2016-17 में खुदरा मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत के आस पास रहेगी.
रेट कट अच्छे मानसून के रहने व महंगाई दर के काबू में रहने के अनुमान के आधार पर किया गया है. इसके साथ ही रिजर्व बैंक गवर्नर ने यह कटौती राजकोषीय घाटा के 3.50 प्रतिशत पर रखने के सरकार के संकल्प के आधार पर किया है.
कल ही वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि महंगे कर्ज के कारण उद्योग जगत पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. उद्योग जगत भी 25 से 50 बेसिस प्वाइंट रेट कट की उम्मीद जता रहा था. पिछले साल रिजर्व बैंक ने अलग-अलग चरण में 100 बेसिस प्वाइंट रेट कट किया था. बैंकों के खराब कर्ज के बारे रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि बैंकों के एनपीए को दुरूस्त किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मानसून बेहतर रहने और महंगाई दरों में कमी आने से ब्याज दरों में आगे भी कटौती की जा सकती है.
क्या है रेपोरेट?
रेपो वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को उनकी तात्कालिक जरूरत के लिए धन उधार देता है,गौरतलब है कि बैंकों को अपने रोज के काम लिए अक्सर बड़ी रकम की जरूरत होती है पर अधिकतर कि इसकी अवधि एक दिन से ज्यादा नहीं होती। तब बैंक केंद्रीय बैंक (भारत में रिजर्व बैंक) से रात भर के लिए (ओवरनाइट) कर्ज लेने का विकल्प ्चुनते है हैं। इस कर्ज पर रिजर्व बैंक को उन्हें जो ब्याज देना पड़ता है, उसे ही रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने से बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाता है और तब ही बैंक ब्याज दरों में भी कमी करते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा रकम कर्ज के तौर पर दी जा सके। अब अगर रेपो दर में बढ़ोतरी का सीधा मतलब यह होता है कि बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से रात भर के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा। ऐसे में जाहिर है कि बैंक दूसरों को कर्ज देने के लिए जो ब्याज दर तय करते हैं, वह भी उन्हें बढ़ाना होगा।
रिवर्स रेपो रेटः
दूसरी तरफ रिवर्स रेपो रेट ऊपर बताए गए रेपो रेट से उल्टा होता है , कई बार बैंकों के पास दिन भर के कामकाज के बाद एक बड़ी रकम शेष बच जाती है। बैंक वह रकम अपने पास रखने के बजाय रिजर्व बैंक में रख सकते हैं, जिस पर उन्हें रिजर्व बैंक से ब्याज भी मिलता है। जिस दर पर यह ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।
जब कभी रिजर्व बैंक को लगता है कि बाजार में बहुत ज्यादा नकदी हो गई है तब वह रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी कर देता है। इससे होता यह है कि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपना पैसा रिजर्व बैंक के पास रखने लगते हैं।
वी एन आई