नई दिल्ली, 21 मई (वीएनआई) कोरोना के चलते जिस तरह से दुनिया भर में जीवन शैली बदली है,उस से राष्ट्रपति भवन की कार्यशैली भी बदल रही हैं.राष्ट्रपति भवन में आज सात देशों के नव नियुक्त राजदूतों और उच्चायुक्तों के पद के परिचय पत्र पेश किये जाने के समारोह में ७० वर्ष पुरानी परंपरा की जगह कोरोना काल की संवेदनशीलता देखते हुए सुरक्षित कार्यप्रणाली अपनाई गई.सात देशों के राजदूतों और उच्चायुक्तों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने ने पद के परिचय पत्र राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पेश कियें . सात देशों के नव नियुक्त राजदूतों और उच्चायुक्तों ने राष्ट्रपति के सामने प्रत्यक्ष रूप से सामने आकर नहीं, बल्कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना परिचय पत्र उन्हें सौंपा. 26 जनवरी, 1950 को डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने देश के पहले राष्ट्रपति के तौर पर राष्ट्रपति भवन में कार्य करना शुरू किया था तब से ऐसा मौका कभी नहीं आया कि कोई राजदूत या उच्चायुक्त बिना राष्ट्रपति भवन में आए राष्ट्रपति को अपना परिचय सौंपा हो.
आज आस्ट्रेलिया, रवांडा, डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया, सेनेगल, त्रिनिदाद और टोबैगो, मॉरीशस, , कोट द'आइवोर (इसका पुराना नाम आइवरी कोस्ट है)के राजनयिकों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपना परिचय दिया और डिजिटल लिंक के जरिए राष्ट्रपति के सामने ्सम्बद्ध कागजात पेश किए. साउथ ब्लॉक में बड़े स्क्रीन पर बारी-बारी से आए ये सभी राजनयिक इस परिचय समारोह के लिए विदेश मंत्राल्य के कार्यालय साउथ ब्लॉक पहुंचे और उन्होंने बारी-बारी से एक बड़े स्क्रीन के सामने खड़े होकर सारी औपचारिकताएं पूरी की. इस दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने सभी राजनयिकों का स्वागत किया और इसे खास दिन बताया. इस दौरान विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप भी राजनयिकों के साथ ही साउथ ब्लॉक में ही मौजूद थे.
गौरतलब हैं कि जब ्किसी देश का राष्ट्राध्यक्ष किसी को अपने देश का राजदूत या उच्चायुक्त नियुक्त करके किसी दूसरे देश में भेजता है तो वह उस देश के राष्ट्राध्यक्ष को आकर अपनी नियुक्ति वाला अपने राष्ट्राध्यक्ष द्वा दिया गया वह पत्र सौंपता है. राष्ट्रपति कोविंद ने सभी राजनयिकों को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 विश्वव्यापी महामारी ने पूरे विश्व समुदाय के सामने एक असाधारण चुनौती पेश की है और इस संकट से निपटने में विश्व के व्यापक सहयोग की आवश्यकता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत अपने साथी देशों का बढ़-चढ़ कर सहयोग कर रहा है. उन्होंने ये भी कहा इस महामारी में डिजिटल तकनीक ने दुनिया को पैदा हुई चुनौतियों से बाहर निकलने और हर कार्य को नए तरीके से पूरा करने लायक बनाया है. अब तक प्रचलित परंपरा ्में ऐसे परिचय पत्र पेश करने के समारोहों का आयोजन राष्ट्रपति भवन के भव्य अशोक हॉल में होता रहा है. नव नियुक्त राजदूतों या उच्चायुक्तों को विदेश मंत्रालय में प्रोटोकॉल के चीफ और संबंधित देशों या क्षेत्रों के संबंधित ्विदेश मंत्रालय के सचिव उन्हें लेकर अशोक हॉल तक पहुंचते हैं. फिर राष्ट्रपति हॉल में आते हैं और राजनयिक उनके पास जाते हैं और अपना परिचय पत्र पेश करते हैं और राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य में उनका स्वागत करते हैं.
इस मौकें पर आस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बेरी ओ' फेरेल ने आशा व्यक्त की कि उन की यह भूमिका उन्हें ्भारत आस्ट्रेलिया के संबंध और व्यापक बनाने,आपसी हित बढानें और दोनों देशों के नागरिकों के लियें अवसर बढानें का अवसर देगीं. उन्हों ने कहा कि दोनों ही देश समान विचार वाले लोकतंत्र हैं तथा दोनों की ही स्वतंत्र, समावेशी भारत प्रशांत क्षेत्र के प्रति साझी निष्ठा हैं. उन्होंने कहा कि दोनों ही देशों के बीच अहम व्यापारिक और आर्थिक संबंध हैं,सुदृढ सामरिक और रक्षा संबंध हैं.आस्ट्रेलिया स्थित अप्रवासी भारतीयों के जरियें दोनों के बीच शिक्षा, सासंकृतिक तथा पर्यटन संपर्क हैं,जिस से दोनों देशों की जनता के बीच संबंध और गहरें हुए हैं. निश्चय ही इस सब से ही भारत प्रशांत क्षेत्र में भारत आस्ट्रेलिया के सब से घनिष्ठतम साझीदारों में से एक हैं. वीएनआई
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