बीजिंग, 8 दिंसबर (शोभना जैन/ वीएनआई)परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के भारत के दावे पर चीन द्वारा रूकावट डाला जाना जारी है. चीन ने एक फिर वही रट लगाई है कि एनएसजी के मौजूदा सदस्य इस समूह में नए सदस्यों को शामिल करने के बारे में 'आम सहमति' बनाने का प्रयास कर रहे हैं,जबकि प्रेक्षको का मानना है कि चीन इस तरह की हरकतो से एन एस जी मे भारत के प्रवेश को रोकना चाहता है. इस समूह में 45 देश शामिल हैं जिनके लिए आपस में परमाणु सामग्री और प्रौद्योगिकी का व्यापार करना आसान है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने यहां संवाददाताओ से बातचीत मे कहा, 'इस विषय में चीन का दृष्टिकोण पूर्ववत है.' प्रवक्ता से रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोव की इस टिप्पणी के बारे में पूछा गया था कि उनका देश एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए चीन से बात कर रहा है. गेंग ने कहा, 'चीन इस बात के पक्ष में है कि इस मामले में सरकारों के बीच पारदर्शी और निष्पक्ष बातचीत के जरिये आम सहमति के सिद्धांत का पालन किया जाए.' चीन एनएसजी का सदस्य है. वह भारत की सदस्यता का विरोध कर रहा प्रमुख देश है.
उसका कहना है कि भारत परमाणु अप्रसार संधि(एनपीटी) को मानने ्को तैयार नही है . उसके विरोध के कारण भारत को सदस्यता मिलने में कठिनाई हो रही है क्योंकि यह समूह आम सहमति के सिद्धांत से चलता है. उन्होंने कहा कि एनपीटी में से बाहर के कुछ देश जो परमाणु हथियारों से मुक्त देश के रूप में इस समूह में शामिल होना चाहते हैं. इस समय ध्यान उन पर केंद्रित है. साथ ही वे अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के व्यापक सुरक्षात्मक उपाय के समझौते (सीएसए) पर पर भी हस्ताक्षर नहीं करेंगे जो एनपीटी के तहत अनिवार्य है. ऐसे में यदि हम ऐसे अभ्यार्थियों के अवोदन पर सहमत होंगे तो तो हम गैर एनपीटी देशों के परमाणु हथियार सम्पन्न होने को मान्यता दे रहे होंगे.
और फिर परमाणु हथियार मुक्त देशों के अलावा दूसरे देश सीएसए पर हस्ताक्षर नहीं करने का रास्ता अपनाएंगे। प्रवक्ता ने कहा कि , 'इससे एनपीटी और परमाणु अप्रसार की समूची अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था विफल हो जाएगी. चीन का सुझाव है कि एनएसजी को आगे विचार विमर्श कर ऐसा रास्ता निकालना चाहिए जो सभी पक्षों को स्वीकार हो और परमाणु अप्रसार व्यवस्था भी बनी रहे.वी एन आई
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