नई दिल्ली, 27 अक्टूबर, (शोभना जैन/वीएनआई) बांग्लादेश में गत 13 अक्टूबर दुर्गा पूजा से कुछ दिन तक हिंदू अल्पसंखयकों के धार्मिक स्थलों पर हमलें इस वर्ग के घरों की सम्पत्ति की लूटपाट और हिंसा से कुछ दिनों तक जो एक कड़ी सी बन गई वह बंगलादेश के साथ साथ भारत के लियें भी चिंता का विषय बनी हुई हैं.दोनों देशों के बीच पड़ोसियों से कहीं ज्यादा गहरें दिलों के रिश्तें हैं, ऐसे में एक बार फिर वहा इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा अल्पसंख्यक हिंदूओं को निशाना बनाया जाना दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी लानें की साजिश लगती हैं. बांग्लादेश के चट्टगॉव जिलें के कुमिल्ला से शुरू हुयें ये उपद्र्व देश के अनेक भागों में फैल गयें. इन हमलों में अब तक छह से अधिक लोग मारें जा चुकें है, अनेक घायल हुयें और 500 से अधिक ्दंगाईयों की गैरफ्तारियॉ अब तक प्रशासन कर चुका हैं. इसी कड़ी में आज इन दंगों के मुख्य अभियुक्त की भी गिरफ्तारी हो गई.बंगलादेश के सांप्रदायिक सौहार्द पर गहरा आघात लगाने वालें यें दंगें भारत और बंगलादेश के द्विपक्षीय संबंधों ्पर भी छाया डालनें का अंदेशा रहा हालांकि दोनों देशों की सरकारों ने इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने ्पर पूरी तरह से संवेदनशीलता और सतर्कता ्बरती हैं.दुर्गा पूजा के मौक़े पर हिन्दू मंदिरों पर हुयें हमले के दो दिन बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा देने और हिन्दुओं को सुरक्षा प्रदान करने क़ा भरोसा दिलाया.बंगलादेश के साथ प्रगाढ संबंधों पर जोर देती मोदी सरकार ने सधी हुई सतर्क प्रतिक्रिया में वहा प्रशासन द्वारा स्थति के जल्द नियंत्रण में लाने के लियें उस के द्वारा उठायें गयें कदमों पर भरोसा जताया और सम्भवतः सतर्कता और एहतियात के चलतें भारत में अतिवादी तत्व मुस्लिमों के खिलाफ कोयी प्रतिक्रियात्मक अतिवादी तत्व कदम नहीं उठा पायें.दुर्गा पूजा के मौक़े पर हिन्दू मंदिरों पर हुयें हमले के दो दिन बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा देने और हिन्दुओं को सुरक्षा प्रदान करने की बात दोहराई है.बंगलादेश के साथ प्रगाढ संबंधों पर जोर देती मोदी सरकार ने सधी हुई सतर्क प्रतिक्रिया में वहा प्रशासन द्वारा स्थति के जल्द नियंत्रण में लाने के लियें उस के द्वारा उठायें गयें कदमों पर भरोसा जताया. य़्हा यह बात अहम हैं कि लेकिन बंगलादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना ने एक तरफ जहा दक्षिणेशवरी मंदिर में एक वीडियों कॉफ्रेस के जरियें हिंदू अल्पसंखयकों को भरोसा दिलातें हुयें उपद्वियों से सख्ती से निबटनें के निर्देश दियें लेकिन साथ ही कहा कि बंगलादेश के बड़ें पड़ोसी के नातें भारत को स्थति के प्रति संवेदशील होना चाहियें. वहा ऐसा कुछ नहीं होना चाहियें जिस का असर यहा पड़ें.शेख़ हसीना की सरकार लगातार हिन्दुओं की सुरक्षा को लेकर बोलती रही है और पहलें भी घटी ऐसी घटनाओं पर सख्ती से काबू पाती रही हैं लेकिन बुधवार को प्रधानमंत्री ने जिस तरह से हिन्दुओं की सुरक्षा को भारत के नेताओं से जोड़ा, वह एक अपवाद था.निश्चित तौर पर ऐसे मुद्दों से सख्ती से निबटनें के साथ संवेदनशीलता से निबटना जरूरी हैं ताकि घरेलू मसलों के ऑच द्विपक्षीय रिश्तों पर ना पड़ें.
दरअसल ये उपद्र्व सोशल मीडिया पर गत 13 अक्टूबर को इस अफवाह से शुरू हुयें कि दुर्गा पूजा के एक पंडाल में कुछ हिंदूओं ने इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरान का कथित तौर पर अपमान किया हैं और इसी के बाद वहा हिंदूओं के धार्मिक स्थलों पर हमलें , उन के घर जलायें जानें, लूटपाट और हिंसा शुरू हो गई, बंगलादेश सरकार ने हालांकि पवित्र ग्रंथ को अपवित्र कियें जानें के आरोपों को सच्चाई से परें बताया. दुर्गा पूजा के मौक़े पर हिन्दू मंदिरों पर हुयें हमले के दो दिन बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा देने और हिन्दुओं को सुरक्षा प्रदान करने की बात दोहराई.बंगलादेश के साथ प्रगाढ संबंधों पर जोर देती मोदी सरकार ने सधी हुई सतर्क प्रतिक्रिया में वहा प्रशासन द्वारा स्थति के जल्द नियंत्रण में लाने के लियें उस के द्वारा उठायें गयें कदमों पर भरोसा जताया लेकिन बंगलादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना ने एक तरफ जहा दक्षिणेशवरी मंदिर में एक वीडियों कॉफ्रेस के जरियें हिंदू अल्पसंखयकों को भरोसा दिलातें हुयें उपद्वियों से सख्ती से निबटनें के निर्देश दियें साथ ही जनता से ्हर हाल में सांप्रदायिक सौहार्द बनायें रखनें की अपील करते हुयें भारत को भी संदेश देतें हुये कहा कि बंगलादेश के "बड़ें पड़ोसी" के नातें भारत को स्थति के प्रति संवेदशील होना चाहियें. वहा ऐसा कुछ नहीं होना चाहियें जिस का असर यहा पड़ें.हालांकि बंगलादेश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाडने की मंशा से पहलें भी हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलें हुयें हैं लेकिन इस बार के दंगें सब से भीषण रहे. शेख़ हसीना की सरकार लगातार हिन्दुओं की सुरक्षा को लेकर बोलती रही है और पहलें भी घटी ऐसी घटनाओं पर सख्ती से काबू पाती रही हैं लेकिन प्रधानमंत्री हसीना ने जिस तरह से हिन्दुओं की सुरक्षा को भारत के ऐसे ही घटनाक्रम से जोड़ा, वह एक अपवाद था.निश्चित तौर पर ऐसे मुद्दों से देश की सरकारों द्वारा निबटनें के साथ यह भी अहम होता हैं कि अस्थिरतावादी ताकतों का एजेंडा सफल ना हों और घरेलू मसलों के ऑच द्विपक्षीय रिश्तों पर ना पड़ें.
भारत में मुसलमानों के साथ भेदभाव की ख़बरों विशेष तौर पर वर्ष 2019 में नागरिता कानून को लागू करनें के प्रयास को भी कुछ वर्ग इन घटनाओं से जोड़ रहे हैं, और उन का बंगलादेश में प्रतिक्रिया भी देखनें को मिली तब इस के बाद रिश्तों में कुछ क्षणिक असहजता दिखी थी. प्रधान मंत्री मोदी की इस वर्ष की बंगलादेश यात्रा के विरोध में हुयें प्रदर्शनों में 12 मारें गये थें. लेकिन धीरें धीरें स्थतियॉ सहज हो गई,उस वक्त घटनाओं को तूल देनें की बजाय समझदारी से शेख हसीना ने भी सहज टिप्पणी की कि बंगलादेश सहर्ष अपने नागरिकों को वापस लेने को तैयार हैं. भारत-बंगलादेश संबंधों के एक जानकार के अनुसार बंगलादेश में भी अनेक पर्यवेक्षकों का मत है कि अवामी लीग की सरकार पड़ोसी देश भारत में कथित मुसलमान विरोधी राजनीति से असहज है और इसका असर बांग्लादेश पर पड़ रहा है.
इसी क्रम में बंगलादेश की राजनीति को समझा जायें तो शेख हसीना ्की सरकार और उन की पार्टी अवामी लीग के भारत के साथ अच्छे रिश्तें रहे हैं. इस बार भी उन्होंने अवामी लीग कार्यकर्ताओं तथा नेताओं से स्थति पर नजर रखनें और सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखने के लियें काम करने की अपील की. दूसरी तरफ विपक्षी बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी का कट्टरपंथी जमायतें इस्लामी से गठबंधन हैं जो कि 1971 के बंगलादेश मुक्ति के खिलाफ रही और इस बार के दंगों में उन के शामिल होने के आरोप हैं हालांकि उन्होंने इस से इंकार करते हुयें कहा कि वे सभी धर्मों का समान आदर करते हैं लेकिन अवामी लीग अगले चुनाव की चुनौतियों से बचने के लियें उन पर आरोप लगा रही हैं . वैसे भी अफ़गानिस्तान में तालिबान की वापसी और उसमें पाकिस्तान की भूमिका ने भी बांग्लादेश की घटनाओं को प्रभावित किया है.बहरहाल, बांग्लादेश में अभी जो कुछ हो रहा है, उस पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं. अमरीका और संयुक्त राष्ट्र ने भी इन घटनाओं की निंदा व्यक्त की हैं.
विदेश नीति के एक विश्लेषक के इस मत से सहमत हुआ जा सकता हैं कि भारत और प्रधानमंत्री शेख़ हसीना दोनों ्ही द्विपक्षीय अच्छी रिश्तें रखनें की भावना को महत्व देतें हैं. इसलिए भारत एहतियात के साथ प्रतिक्रिया दे रहा है.्हसीना सरकार द्वारा दंगों से निबटनें के लियें कदम उठायें जानें के ठीक बाद ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक सवाल के जबाव में मंत्री शेख़ हसीना ने हिंसा के बाद पैदा हुई स्थिति को काबू में करने के लिए सुरक्षाबल तैनात किए हैं.
बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हिंसा की घटनाएं होती रहती हैं. लेकिन इतने बड़े स्तर पर हमला होना इसके पूर्व नियोजित होने की तरफ़ इशारा करता है जैसा कि एक पूर्व वरिष्ठ राजनयिक का मानना हैं कि बांग्लादेश में जो हुआ वो शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ पूर्व नियोजित बड़ी साज़िश का हिस्सा है और भारत शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ चल रही इस बड़ी साज़िश से अच्छी तरह वाकिफ़ है,इस साज़िश का मक़सद है सांप्रदायिक कार्ड के ज़रिए शेख़ हसीना को कमज़ोर करना है. अब अगर ऐसे में भारत इन घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए बयान जारी करता है तो वो हसीना सरकार की निंदा होगी लेकिन इससे भारत का कोई मक़सद सफल नहीं होगा." और ऐसे में स्वाभाविक है कि भारत अभी बांग्लादेश के साथ खड़ा है, लेकिन साथ ही भारत ने शेख़ हसीना को यह संदेश ज़रूर दे रहा हो कि वो हालात पर जल्दी से जल्दी और प्रभावी ढंग से काबू पा लें और इस बारे में हसीना ने जो कदम उठाये है, उन पर भारत ने संतोष जाहिर किया हैं.भारत का यह मानना ठीक भी है कि अगर कोई इस स्थिति से निबट सकता है तो वो शेख़ हसीना ही हैं. भलें ही सत्ता रूढ भारतीय जनता पार्टी और उस की विचारधारा वाले संगठन के बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले के ख़िलाफ़ खुलकर बोल रहे हैं और इस बारे में सोशल मीडिया पर भी काफ़ी कुछ लिख रहे हैं लेकिन सरकार के स्तर पर इस बारे में नपी-तुली प्रतिक्रिया ही देखने को मिल रही है.
इन घटनाओं से बंगलादेश में रहने वालें हिंदूओं और बौद्ध धर्मावंलबियों में इन घटनाओं से भय और चिंता छायी हुई हैं.इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की भावना को सर्वोपरि मानते हुयें भारत की वहा होने वाले ऐसें घटनाक्रम पर चिंता स्वाभाविक हैं,लेकिन जिस तरह से संकेत मिल रहे हैं कि एक पूर्व नियोजित साजिश के तहत बंगलादेश के सांप्रदायिक सौहार्द को आ्घात पहुंचानें की साजिश रची गयी हैं, उसे समझते हुये ही भारत प्रगाढ पड़ोसी के यहा आपसी समझ बूझ वाली सरकार की स्थतियों से वह अवगत होतें हुयें और कट्टरपंंथी ताकतों से सख्ती से निबटनें की उस की कार्यवाही को देखतें हुयें संवेदशनशील नपी हुयी प्रतिक्रिया दे रहा हैं.यह सभी सरकारों को समझना होगा कि जिस तरह से इस क्षेत्र में धार्मिक कट्टरपंथ देशों की सीमाओं से परे एक दूसरें देश को ग्रस रहा हैं ऐसे में जिम्मेवारी सभी सरकारों की हैं कि अस्थिरता फैलानें वालें ऐसे कट्टर पंथी तत्वों से सख्ती से निबटा जायें ताकि घरेलू मसलों की ऑच प्रगाढ द्विपक्षीय रिश्तों पर ना आयें. समाप्त