'लाभ के पद' मामले मे दिल्ली मे राजनैतिक सरगर्मिया तेज,आरोप प्रत्यारोप तेज, केजरीवाल ने साधा मोदी पर निशाना

By Shobhna Jain | Posted on 14th Jun 2016 | VNI स्पेशल
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नयी दिल्ली,14 जून (अनुपमाजैन/वीएनआई) राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा दिल्ली मे संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से बाहर रखने संबंधी विधेयक को कल मंजूरी देने से इंकार किये जाने की बाद दिल्ली की सता गलियारो मे राजनैतिक सरगर्मिया तेज हो गयी है. इस कदम के बाद दिल्ली मे सत्तारूढ आप पार्टी के २१ विधायको पर सदस्यता अयोग्य घोषित किये जाने की तलवार लटक गई है.इस मामले के बाद एक बार फिर आप पार्टी और भारतीय जनता पार्टी आरोप प्रत्यारोपो के साथ आमने सामने है. इन्ही सरगर्मियो के बीच आज दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्थति पर विचार विमर्श के लिये पार्टी की आपातकालीन बैठक बुलाई जिसमे पार्टी के सभी नेताओ ने हिस्सा लिया. बैठक के बाद श्री केजरीवाल ने इस कदम पर नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रधान मंत्री मोदी पर सीधे निशाना साधते हुए कहा, ‘‘मोदी जी का कहना है कि न काम करुंगा और न ही करने दूंगा.' श्री केजरीवाल ने आरोप लगाया कि प्रधान मंत्री लोकतंत्र का सम्मान नहीं करते और ‘आप'पार्टी से डरते हैं. उन्होने आरोप लगाया कि प्रधान मंत्री मोदी दिल्ली मे आप पार्टी की जीत पचा नही पा रहे है. बैठक में कई आप नेताओं ने केंद्र की कडी आलोचना करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने मोदी सरकार की सिफारिश पर विधेयक वापस किया.इसी बीच दिल्ली मे भारतीय जनता पार्टी ने मुख्य मंत्री के इस्तीफे की मॉग करते हुए कहा कि यह श्री केजरीवाल की नैतिक पराजय है. सूत्रों के अनुसार बिल के राष्ट्रपति द्वारा वापस किये जाने के बाद आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता पर सवाल खड़े हो गए हैं, ऐसे में चुनाव आयोग द्वारा इन सभी विधायकों की सदस्यता रद्द हो सकती है, जिसके बाद इन 21 सीटों पर दोबारा चुनाव कराया जा सकता है। सूत्रो के अनुसार ये सभी 21 विधायक आज चुनाव आयोग भी जा सकते है, साथ ही यह भी खबर है कि राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ पार्टी सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में भी है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली सरकार के उस बिल को मंज़ूरी देने से मना कर दिया है, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायकों के संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से अलग करने का प्रस्ताव था. केजरीवाल ने कहा कि किसी भी विधायक को संसदीय सचिव के रुप में उनकी क्षमता से एक भी पैसा, कार या बंगला नहीं दिया गया और उन्होंने कहा कि वे मुफ्त में सेवाएं दे रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मोदीजी का कहना है कि आप सभी घर पर बैठें. काम नहीं करें.' केजरीवाल ने कहा कि विधायकों को बिजली आपूर्ति, जलापूर्ति, अस्पताल एवं स्कूलों के संचालन पर गौर करने का काम दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी का कहना है कि न काम करुंगा और न ही करने दूंगा.' इस मामले पर आज आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने भी कहा कि केंद्र केजरीवाल सरकार की राह में रोड़ा अटका रहा है। मोदी सरकार का नारा है, ना काम करूंगा और ना करने दूंगा। दिल्ली सरकार के 17 बिलों को केंद्र सरकार ने पास नहीं होने दिया। केंद्र ने इस बिल को नामंजूर कर राष्ट्रपति के पास भेजा था। हम लोगों को समाप्त करने का मोदी सरकार ने मन बना लिया। देशभर में संसदीय सचिव बनाना वैध है तो दिल्ली में क्यों नहीं। देश के कई राज्यों में संसदीय सचिव हैं। गौरतलब है कि केजरीवाल ने 2015 में दोबारा सरकार गठन के बाद अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव का पद दिया था, लेकिन वह ऑफ़िस ऑफ़ प्रॉफ़िट की श्रेणी में आ गया, जिस पर विपक्ष ने सवाल उठाए, जिसके बाद केजरीवाल सरकार अपने विधायकों की सदस्यता बचाने के लिए संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से दूर रखने के लिए एक बिल लेकर आई, जिसे कल राष्ट्रपति ने मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया। उच्चतम् न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद जैन के अनुसार कानूनी व्याख्या के अनुसार अब चुनाव आयोग के समक्ष इन विधायको की सदस्यता रद्द् करने का ही विकल्प है क्योंकि कोई फैसला लाने के बाद उसे लागू करने वाला कानून नही बनाया जा सकता है.माननीय राष्ट्रपति ने इसी प्रावधान के चलते इस विधेयक को मंजूरी नही दी.वी एन आई

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