बिना संगीत शिक्षा के बचपन मे मिली वाह वाही, ईनामो से बना महान गायक किशोर कुमार

By Shobhna Jain | Posted on 4th Aug 2015 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली 4 अगस्त (जेसुनील,वीएनआई) ,आ चल के तुझे मैं लेके चलूँ, एक ऐसे गगन के तले , जहा गम भी न हो ऑसू भी न हो बस प्यार ही प्यार पले, इस सपने के मनमौजी गायक, संगीतकार, अभिनेता, निर्माता, लेखक किशोर कुमार बारे मे शायद यह तथ्य ज्यादा लोग नही जानते होंगे कि उन्होने संगीत की विधिवत शिक्षा नही ली थी. लेकिन संगीत की शिक्षा प्राप्त किए बिना उन्होंने फिल्म संगीत जगत में अपना रोशन स्थान बनाया । बचपन से ही वे रेडियो पर गाने सुन कर उनकी धुन पर थिरकते थे। फिल्मी गानों की किताब जमा कर उन्हें कंठस्थ कर गाते थे।बारह साल की उम्र तक किशोर ने गीत-संगीत में महारत हासिल कर ली घर आने वाले मेहमानों को अभिनय सहित गाने सुनाते, तो 'मनोरंजन-कर'के रूप में कुछ इनाम भी मांग लेते थे। किशोर कुमार का आज 86वां जन्मदिन है । बहुमुखी प्रतिभा के धनी किशोर का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ था , फिल्म अभिनेता अशोक कुमार के छोटे भाई किशोर कुमार ने सिनेमा की दुनिया से जुड़ने के बाद उन्होंने अपना नाम आभास कुमार गांगुली से किशोर कुमार रख लिया था। पुरानी के साथ-साथ नई पीढ़ी भी उनकी आवाज की दीवानी है। किशोर जितने बेहतरीन कलाकार थे, उतने ही रोचक इंसान भी थे,मज़ाक मे अक्सर वे अपना नाम किशोर कुमार की बजाय रशोकि रमाकु बताते थे। फिल्म 'शिकारी' (1946) से उन्होंने अपनी अदाकारी की शुरुआत की। उन्होने अपने संगीत करियर की शुरुआत स्टूडियो बॉम्बे टॉकीज से बतौर कोरस सिंगर की थी और 1948 में फिल्म 'जिद्दी' के लिए उन्होंने 'मरने की दुआएं क्यों मांगूं' ्गाना गाकर प्लेबैक गायकी की शुरूआत की । अनेक फिल्म समीक्षको के अनुसार क‍िशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उनकी आवाज के जादू से देवआनंद सदाबहार हीरो कहलाये और राजेश खन्ना को सुपर स्टार बनाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है, जब किशोर दा गुजर गए थे, तो राजेश खन्ना ने कहा था कि मेरी आवाज चली गई। यह भी कहा जाता है कि किशोर की आवाज के कारण ही अमिताभ बच्चन महानायक कहलाने लगे किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने करियर के दौरान अंदाज़न 574 से अधिक गाने गाए। उन्होने हिन्दी के साथ ही तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया फिल्मों के लिए भी गीत गाए। किशोर कुमार को आठ फिल्म फेयर अवार्ड मिले, उनको पहला फिल्म फेयर अवार्ड 1969 में अराधना फिल्म के गीत रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना के लिए दिया गया था। किशोर कुमार ने चार शादियां की । किशोर कुमार की पहली शादी रूमा देवी से हुई थी, लेकिन जल्दी ही शादी टूट गई। इसके बाद उन्होंने मधुबाला के साथ विवाह किया। लेकिन शादी के नौ साल बाद ही मधुबाला की मौत के साथ यह शादी भी टूट गई। साल 1976 में किशोर कुमार ने अभिनेत्री योगिता बाली से शादी की लेकिन यह शादी भी ज्यादा नहीं चल पाई। इसके बाद साल 1980 में उन्होंने चौथी और आखिरी शादी लीना चंद्रावरकर से की, जो उम्र में उनके बेटे अमित से दो साल बड़ी थीं। किशोर कुमार की निजी जिंदगी में दुखों का सिलसिला कुछ इस कदर ही चलता रहा और एक दिन 13 अक्टूबर साल 1987 को दिल का दौरा पड़ने के कारण उनकी मौत हो गई। किशोर कुमार की 10 साल की पोती और उनके पुत्र अमित कुमार की पुत्री मुक्तिका गांगुली पोती अपने दादा की गायकी की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए कदम बढा चुकी है। 'अ्च्छा तो हम चलते है', अमर् गीत की गायक गये नही बल्कि अपनी आवाज के साथ हमारे बीच ही है वीएनआई

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