श्रीहरिकोटा 28 सितंबर (वीएनआई) सुदूर खगोलीय पिंडों के अध्ययन को समर्पित भारत की पहली वेधशाला ‘एस्ट्रोसेट’ का आज सुबह दस बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी सी-30 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपण कर दिया गया ।
एस्ट्रोसेट को पीएसएलवी-सी30 रॉकेट के ज़रिए पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. रॉकेट में प्रणोदक भरने का काम शनिवार को ही पूरा हो गया था। कुल 1513 किलोग्राम वजनी इस उपग्रह को अंतरिक्ष में 650 किलोमीटर ऊंची कक्षा में स्थापित किया जाएगा। पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होने के बाद एस्ट्रोसेट पर लगे दो सौर पैनल एक के बाद एक स्वत: ही खुल जाएंगे।
यहां इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क के मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (मॉक्स) एस्ट्रोसेट को मैनेज करेगा। एस्ट्रोसेट पर पांच उपकरण लगे हैं और इनसे प्राप्त वैज्ञानिक आंकड़ों को मॉक्स के जमीनी नेटवर्क को भेजा जाएगा। एस्ट्रोसेट पर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप, लार्ज एरिया एक्स रे प्रपोशनल काउंटर, सॉफ्ट एक्स रे टेलीस्कोप, कैडमियम जिंक टेल्यूराइड इमेजर और स्कैनिंग स्काई मॉनीटर लगे हैं।
पीएसएलवी-सी30 एस्ट्रोसेट के अलावा विभिन्न देशों के छह उपग्रह भी अपने साथ ले जा रहा है.इनमें अमरीका के चार नैनो उपग्रह भी शामिल हैं. भारत पहली बार अमरीका के व्यावसायिक उपग्रह को प्रक्षेपित कर रहा है.पीएसएलवी-सी30 साथ ही कनाडा और इंडोनेशिया का भी एक-एक उपग्रह ले जा रहा है.
गौरतलब है कि भारत इससे पहले 45 विदेशी उपग्रहों को प्रक्षेपित कर चुका है और इस पीएसएलवी-सी30 की सफलता के बाद यह संख्या 51 हो गयी.