कूच बिहार/नई दिल्ली 1 अगस्त (वीएनआई) भारत और बांग्लादेश के बीच लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट के तहत 162 एंक्लेव की अदला-बदली का समझौता आज मध्यरात्रि से प्रभावी हो गया। भारत ने इसे 'ऐतिहासिक दिन' बताया है, जिस मौके पर उस जटिल मुद्दे का समाधान हुआ जो आजादी के 68 साल बाद ्तक लंबित पड़ा हुआ था। इस समझौते के तहत भारत का हिस्सा कहलाने वाले करीब 17160 एकड़ में फैले 111 गांव जहां बांग्लादेश से जुड़ गये, वहीं बांग्लादेश की सीमा में आने वाले 7110 एकड़ जमीन में फैले 51 गांव भारत मे शामिल हो गये। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, '31 जुलाई भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए ऐतिहासिक दिन होगा। इस दिन को उस जटिल मुद्दे का समाधान हुआ जो आजादी के बाद से लंबित था।'
उल्लेखनीय है कि एनक्लेव ऐसे छोटे-छोटे रिहाइशी इलाके हैं जो दूसरे देश की जमीन से घिरे हुए हैं यानि हैं तो एक देश के, लेकिन बसे हुए हैं दूसरे देश के भीतर. भारत के एनक्लेव बांग्लादेश में और बांग्लादेश के भारत में हैं |एक अनुमान के अनुसार सीमा से लगे इलाकों में रहने वाले तकरीबन 50,000 निवासी ‘नई मिली आजादी’ के हकदार होंगे जिसमे बांग्लादेश में भारतीय एन्क्लेवों में करीब 37,000 लोग रह रहे हैं, वहीं भारत में बांग्लादेशी एन्क्लेवों में 14000 लोग रहते हैं।बांग्लादेश और भारत 1974 के एलबीए करार को लागू करने के पश्चात सितंबर, 2011 के प्रोटोकॉल को अगले 11 महीने में चरणबद्ध तरीके से लागू करेंगे. पूरी प्रक्रिया के 30 जून 2016 संपन्न होने की संभावना है
गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी के 6-7 जून, 2015 के ढाका दौरे के समय वर्ष 1974 के भूमि सीमा समझौते को अंतिम रूप दिया गया था और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने ढाका में सीमा समझौते पर मुहर लगाई थी.भारतीय संसद ने मई महीने में एलबीए को मंजूरी दे दी थी| यह समझौता १६ मई १९७४ को पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी और बंग्लादेश के राष्ट्रपति स्वर्गीय शेख़ मुजीबुर्रहमान के बीच हुआ था | बताया जाता है कि बांग्लादेशी गांव के लोग भारत में शामिल होने के बाद बेहतर भविष्य को लेकर आशावान हैं दूसरी तरफ भारतीय गांव के थोड़े ्फिक्रमंद हैं ।
गौरतलब है कि जमीन की अदला बदली में इन एनक्लेव्स में रहने वालों को अपनी इच्छा से दोनों में से किसी भी देश की नागरिकता लेने की स्वतंत्रता दी गई है .भारत और बांग्लादेश एंक्लेवों में रहने वाले लोगों से यह पता लगाने के लिए जुलाई में प्रक्रिया पूरी कर चुके हैं कि वे भारतीय नागरिकता चाहते हैं या बांग्लादेश की नागरिकता चाहते हैं।एक संयुक्त सर्वेक्षण के अनुसार भारत में बांग्लादेशी एन्क्लेवों में रहने वाला कोई नागरिक उस देश में नहीं जाना चाहता। हालांकि अनुमानित 600 लोग भारत आना चाहते हैं।
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हालांकि इस मौके पर किसी आधिकारिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया लेकिन 'भारत बांग्लादेश एंक्लेव एक्सचेंज कोऑर्डिनेशन कमिटी' नामक संगठन ने कूच बिहार के मासलदांगा एंक्लेव में आज रात एक समारोह का आयोजन किया। रात में 12.01 बजते ही उत्साहित लोगों ने भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराना शुरु कर दिया।