डाईबिटीज़ को नियंत्रित करने के लिये जादू की छड़ीः मंड़ूक आसन

By Shobhna Jain | Posted on 23rd Jun 2015 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली 23 जून (साधना अग्रवाल, वीएनआई) भारत को दुनिया में डायबिटीज की राजधानी भी कहा जा सकता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहला कारण तो गुणात्मक है। वहीं इसके साथ ही भारत में आर्थिक तरक्की के चलते लोगों की खानपान संबंधी आदतों में बड़ा बदलाव आया है। लोग अब परंपरागत भोजन की तुलना में पश्चिमी जंक फूड ज्यादा पसंद करने लगे हैं। यही कारण हो सकते हैं जिनके चलते भारत में डायबिटीज बढ़ रही है। इसमें अपनी डाइट को काबू में रखना चाहिए। नियमित तौर पर योग और व्यायाम करना चाहिए। चिकित्सकों के अनुसार मधुमेह के रोगी का आहार केवल पेट भरने के लिए ही नहीं होता, उसके शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा को संतुलित रखने में सहायक होता है। चूंकि यह रोग मनुष्य के साथ जीवन भर रहता है इसलिए जरूरी है कि वह अपने खानपान पर हमेशा ध्यान रखे। आमतौर मरीज ब्लडशुगर की नार्मल रिपोर्ट आते ही लापरवाह हो जाता है। मधुमेह के मरीज के मुंह में गया हर कौर उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसलिए जो भी खाएं सोच समझकर खाएं। इन्सुलिन हार्मोन के स्रावण में कमी से डायबिटीज रोग होता है। डायबिटीज आनुवांशिक या उम्र बढ़ने पर या मोटापे के कारण या तनाव के कारण हो सकता है। डायबिटीज ऐसा रोग है जिसमें व्यक्ति को काफी परहेज से रहना होता है। बदपरहेजी करने के दूरगामी परिणाम बुरे होते है। मधुमेह के रोगी को आंखों व किडनी के रोग, सुन्नपन आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए सदैव यही प्रयत्न करना चाहिए कि ब्लड ग्लूकोज लेवल फास्टिंग 70-110 मिलीग्राम/ डीएल व खाना खाने के 2 घंटे बाद का 100-140 मिलीग्राम डीएल बना रहे। इसके लिए इन्हें खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 45 मिनट से 1 घंटा तीव्र गति से पैदल चलना या अन्य कोई भी व्यायाम करना चाहिए। सही समय पर दवाई या इंसुलिन लेना चाहिए। डायबिटिक व्यक्ति को अपने वजन व लंबाई के अनुसार प्रस्तावित कैलोरीज से 5 प्रश कम कैलोरी का सेवन करना चाहिए। डायबिटिक व्यक्ति एवं गोलियाँ ले रहे डायबिटिक व्यक्ति को खाना सही समय पर लेना चाहिए। ऐसा न करनेपर हायपोग्लाइसीमिया हो सकता है, जिसके लक्षण निम्न हैं- (1) कमजोरी लगना, (2) अत्यधिक भूख लगना, (3) पसीना आना, (4) नजर से धुंधला या डबल दिखना, (5) हृदयगति तेज होना, (6) झटके आना एवं गंभीर स्थिति होने पर कोमा भी हो सकता है। इसलिए डायबिटिक व्यक्ति को हमेशा अपने साथ कोई मीठी चीज जैसे ग्लूकोज, शकर, चॉकलेट, मीठे बिस्किट में से कुछ रखना चाहिए एवं ऐसे लक्षण होने पर तुरंत इनका सेवन करना चाहिए। एक सामान्य डायबिटिक व्यक्ति को अपने आहार में निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए कि वे थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ खाते रहें। दो या ढाई घंटे में कुछ खाएँ। एक समय पर बहुत सारा खाना न खाएं। चिकित्सकों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की लंबाई 5 फुट 4 इंच है तो उसका आदर्श वजन 55 किग्रा होना चाहिए। व्यक्ति की क्रियाशीलता यदि कम है, जैसे कि वह बैठे-बैठे कार्य करता है तो उसे 2400 कैलोरी लेना चाहिए। डायबिटिक हो तो इसका 5 प्रश कम अर्थात 2280 कैलोरी आहार उसके लिए सही रहेगा। यदि वह मोटा हो तो उसे 200-300 कैलोरी और घटा देना चाहिए। ब्लड ग्लूकोज लेवल फास्टिंग 70-110 मिलीग्राम/ डीएल व खाना खाने के 2 घंटे बाद का 100-140 मिलीग्राम डीएल बना रहे। इसके लिए इन्हें खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 45 मिनट से 1 घंटा तीव्र गति से पैदल चलना तथा योग करना चाहिए। डायबिटिक व्यक्ति को प्रोटीन अच्छी मात्रा में व उच्च गुणवत्ता वाला लेना चाहिए जैसे दूध, दही, पनीर, सोयाबीन आदि का सेवन करना चाहिए, तले हुए पदार्थ, मिठाइयां, बेकरी के पदार्थों से परहेज करें। दूध सदैव डबल टोन्ड (स्किम्ड मिल्क) का प्रयोग करें। घी व तेल का सेवन दिनभर में 20 ग्राम (4 चम्मच) से ज्यादा नहीं होना चाहिए। कम कैलोरीयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें जैसे भुना चना छिलके वाला, परमल, अंकुरित अनाज, सूप, सलाद आदि का ज्यादा सेवन करें। घरेलू उपचारों मे मधुमेह पर काबू पाने के लिए एक करेला, एक टमाटर व एक खीरे के जूस को पीयें, साथ में सदाबहार के दस फूल, दस पत्ते तुलसी व दस पत्ते नीम को मिला कर उसका सेवन करें। योग विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान में देशभर में लाखों लोग मधुमेह की बीमारी से पीडि़त हैं, मधुमेह से नेत्र \'योति, हृदय व किडनी पर अत्यधिक विपरीत असर पड़ता है। पर इस बीमारी को मंडूकासन के निरंतर अभ्यास से नियंत्रित किया जा सकता है,मंडूक का अर्थ है मेंढक अर्थात इस आसन को करते वक्त मेंढक के आकार जैसी स्थिति प्रतीत होती इसीलिए इसे मंडूकासन कहते हैं। इस आसन से अग्नयाशय सक्रिय होता है जिसके कारण डायबिटीज के रोगियों को इससे लाभ मिलता है। यह आसन उदर और हृदय के लिए भी अत्यंत लाभदायक माना गया है। इसके अलावा यह आसन पेट के रोग जैसे कब्ज, गैस, अफारा, भूख न लगना, अपच, भोजन का पाचन ठीक न होना आदि विकारों को दूर करता है। इस आसन से आमाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, पित्तकोष, पेन्क्रियाज, मलाशय, लिवर, प्रजनन अंगों और किडनी आदि सभी अंगों पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। यह आसन कई तरह से किया जाता हैं, यहां प्रस्तुत है प्रचलित और सरल तरीका। विधि : सर्वप्रथम दंडासन में बैठते हुए वज्रासन में बैठ जाएं फिर दोनों हाथों की मुठ्ठी बंद कर लें। मुठ्ठी बंद करते समय अंगूठे को अंगुलियों से अंदर दबाइए। फिर दोनों मुठ्ठियों को नाभि के दोनों ओर लगाकर श्वास बाहर निकालते हुए सामने झुकते हुए ठोड़ी को भूमि पर टिका दें। थोड़ी देर इसी स्थिति में रहने के बाद वापस वज्रासन में आ जाए। विपरित आसन : प्रत्येक आसन को करने के पश्चात उसका विपरित आसन जरूर करें। मंडूकासन के बाद आप चाहे तो योगा शिक्षक से पूछकर ऊष्ट्रासन या विपरित नौकासन कर सकते हैं। कितनी बार करेंः मंडूकासन का अभ्यास वैसे तो दो बार ही किया जाता है किंतु डायबिटीज के मरीज इसका अभ्यास 3-4 बार तक कर सकते हैं। सावधानी : यदि पेट संबंधी कोई गंभीर रोग हो तो यह आसन न करें। स्लिप डिस्क, ऑस्टियोपॉरोसिस और कमर दर्द के रोगी यह आसन किसी योग चिकित्सक से पूछकर ही करें। आसन करते वक्त ध्यान रखें की दोनों हाथों की मुठ्ठियां अच्छी तरह से नाभि के आस-पास टिकी हो।

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