सर्वजन हिताय ही भारतीय संस्कृति का मूल है : पीएम मोदी

By Shobhna Jain | Posted on 14th May 2016 | VNI स्पेशल
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उज्जैन, 14 मई (वीएनआई)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि 'सर्वजन हिताय' का आदर्श वाक्य भारतीय संस्कृति के मूल में निहित है। प्रधानमंत्री मोदी ने सिंहस्थ कुंभ के दौरान आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, "हम एक ऐसी संस्कृति से हैं, जहां एक भिक्षुक भी कहता है कि, जो दे उसका भी भला जो न दे उसका भी भला।" श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना भी इस दौरान सम्मेलन में मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं तुमसे ज्यादा पवित्र हूं की प्रवृत्ति ही लोगों में टकराव पैदा करती है। "हमें अंदर झांक कर देखना चाहिए कि हम कैसे अपने आप को विकसित कर सकते हैं।"मोदी ने कहा कि एक जमाना था कि समुद्र पार करना अपवित्र माना जाता था। लेकिन उसमें बदलाव आया। उन्होंने कहा, "इसी तरह कई परंपराएं समय के साथ बदल जाती है।" भारतीय चुनावों पर बयान देते हुए मोदी ने कहा, "हमारे चुनाव को देखिए, यह दुनिया के लिए एक अजूबा है.. इतना बड़ा देश और इतने सारे मतदाता और देखिए किस प्रकार चुनाव आयोग सफलतापूर्वक चुनावों का आयोजन करता है।" उनका यह बयान देश में सोमवार को पांच राज्यों में होने वाले चुनावों को लेकर था। पश्चिम बंगाल और असम में मतदान हो चुके हैं। अब सोमवार को केरल, पुड्डुचेरी और तमिलनाडु में मतदान होना है। मतों की गिनती 19 मई को होगी। सिंहस्थ कुंभ मेला जहां क्षिप्रा नदी के किनारे बड़ी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं, का हवाला देते हुए मोदी ने कहा, "क्या हमें दुनिया को कुंभ जैसे समारोह के आयोजन की हमारी क्षमता के बारे में बताना नहीं चाहिए?" उन्होंने लाखों श्रद्धालुओं के लिए किए गए व्यवस्था को लेकर कहा, "यहां जो चल रहा है वह अतीत से चल रही परंपरा का आधुनिक संस्करण है।" राष्ट्रपति सिरिसेना ने मोदी से पहले सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच लंबे समय से संबंध रहा है।पिछले साल श्रीलंका का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद सिरिसेना की यह पहली विदेश यात्रा है। वे दो दिन के भारत दौरे पर हैं। उन्होंने मोदी के साथ शुक्रवार शाम को नई दिल्ली में द्विपक्षीय बातचीत की। क्षिप्रा नदी के किनारे चल रहे सिंहस्थ कुंभ मेला के दौरान उज्जैन सम्मेलन का आयोजन किया गया।

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