आर्थिक सर्वेक्षण :’हर आंख से आंसू पोंछने का बुनियादी उद्देश्‍य \', अगले वर्ष अनुमानित विकास दर आठ फीसदी से अधिक, अब द्विअंकीय विकास दर संभव

By Shobhna Jain | Posted on 11th Mar 2015 | VNI स्पेशल
altimg
नई दिल्ली 27 फरवरी (शोभना, अनुपमाजैन,वीएनआई) वर्ष 2014-15 के लिये संसद मे आज पेश आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने ’हर आंख से आंसू पोंछने’ को अपना बुनियादी उद्देश्‍य बताते हुए अगले वित्त वर्ष के लिए विकास दर आठ फीसदी से अधिक रहने का अनुमान जताया गया है साथ ही देश मे आर्थिक सुधारो की व्यापक संभावना बताते हुए कहा है कि देश मे अब द्विअंकीय अंकों में विकास दर की संभावना के अवसर है. आशावादी रूख अपनाते हुए इसमे देश मे व्यापक सुधार की गुंजाइश बताते हुए कहा गया है भारत एक ऐसे बिंदु पर आ पहुंचा है, जहां से यह द्विअंकीय मध्‍यावधिक विकास पथ पर अग्रसर हो सकता है, जिससे देश में ‘’हर आंख से आंसू पोंछने’’ के बुनियादी उद्देश्‍य को हासिल किया जा सकेगा। इसमे कहा गया है कि सरकार वित्तीय घाटा कम करने के लिए प्रतिबद्ध है और राजस्व बढ़ाने पर प्रमुखता से ध्यान दिया जाएगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आज प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण- अर्थव्यवस्था की स्थिति पर सालाना रिपोर्ट कार्ड में कहा गया है कि वृहद अर्थव्‍यवस्‍था में ज्‍यादा स्‍थायित्‍व आया है, सुधार शुरू किये गये हैं, वृद्धि में गिरावट का सिलसिला समाप्‍त हो गया है और अब अर्थव्‍यवस्‍था पटरी पर लौटती दिख रही है। इसमे कहा गया है विकास दर को अब और बढ़ाया जाना चाहिए और दहाई संख्या में विकास दर संभव है। अगले वर्ष के लिये विकास दर 8,1 प्रतिशत से ले कर 8.5 प्रतिशत होने का आकलन है. इसमे यह भी कहा गया है कि निवेशकों को कानूनी सुनिश्चितता और विश्‍वास प्रदान के लिए कोयला, बीमा और भूमि अध्‍यादेशों को कानून में बदलने की आवश्‍यकता है. महंगाई के बारे में इसमें कहा गया है कि 2013 के बाद से इसमें छह प्रतिशतांक से अधिक की गिरावट आ चुकी है। निर्यात और विदेशी पूंजी के आगम में भी मजबूती आ रही है। औद्योगिक विकास दर में भी तेजी आई है.कृषि क्षेत्र के बारे मे इसमे कहा गया है की चुनौतियों से व्‍यापक ढंग से निपटने और कृषि क्षेत्र में चार प्रतिशत वृद्धि निरंतर आधार पर सुनिश्चित करने का समय आ चुका है \"2014-15 के लिए अनाज उत्पादन 25.707 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो गत वर्ष के उत्पादन से 85 लाख टन अधिक होगा।\"कृषि क्षेत्र मे संभावित समाधानों के रूप में तीन, कदम उठाए जाने का सुझाव दिया गया है जिसमें बजट 2014 के राष्ट्रीय बाजार की स्थापना, किसानों के बाजार और संबंधित एपीएमसी अधिनियम में सुधार के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को मिलकर कार्य करने की जरूरत बताई गयी है. लेकिन पिछले कुछ वर्षो से चर्चाओ और विवादो मे घिरी \'सब्सिडी \'के बारे में इसमें कहा गया है कि इससे गरीबों के जीवनस्तर में किसी विशेष बदलाव आया हो, ऐसा दिखाई नहीं पड़ता. मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा देश की वित्तीय स्थिति के बारे में तैयार इस सर्वेक्षण मे कहा गया है कि 2015-16 में 8.1 प्रतिशत से लेकर 8.5 तक विकास दर अनुमानित है जबकि दहाई अंकों में विकास दर अब संभव प्रतीत होती है साथ ही कहा गया है कि जनादेश सुधार के लिए और बाहरी माहौल अब जोखिम रहित है. देश के समूचे आर्थिक परिपेक्षय के इस लेखे जोखे मे कहा गया है कि आने वाले वर्षों में बाजार मूल्‍य पर वास्‍तविक सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वर्ष 2014-15 की तुलना में करीब 0.6 -1.1 प्रतिशत अधिक रहने का अनुमान है। वर्ष 2014-15 के नए अनुमानों को आधार मानते हुए वर्ष 2015-16 में बाजार मूल्‍य पर वृद्धि दर 8.1- 8.5 प्रतिशत रहने की सम्‍भावना है। इसमे विचार व्यक्त किया गया है कि बजट में वित्‍तीय समावेशन की प्रक्रिया जारी रहनी चाहिये। अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा वर्ष 2014 के लिए कुल राजस्‍व से जीडीपी अनुपात का अनुमान 19.5 प्रतिशत व्‍यक्‍त किया गया है, जिसे तुलना देशों के स्‍तर तक ले जाने की जरूरत है- उभरती एशियाई अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिए 25 प्रतिशत और जी-20 की उभरती बाजार अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिए 29 प्रतिशत का अनुमान व्‍यक्‍त किया गया है। सर्वेक्षण मे कहा गया है क़ी वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक को कानून में परिवर्तित करने की आवश्‍यकता है, इसके साथ ही इस मे यह भी सुझाव दिया गया है कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को मुद्रास्‍फीति नियंत्रण में वर्तमान सफलता को समेकित करने के लिए मौद्रिक नीति प्रारूप समझौते को अंतिम रूप देना चाहिये और उन्‍हें संस्‍थागत व्‍यवस्‍था में संहिताबद्ध किया जाना चाहिये। दस्तावेज के अनुसार अर्थव्‍यवस्‍था से भारतीय रिजर्व बैंक का मुद्रास्‍फीति लक्ष्‍य 0.5-1.0 प्रतिशत तक प्रभावित होने की सम्‍भावना होती है और इससे आर्थिक नीति को और ज्‍यादा सरल बनाने का मार्ग प्रशस्‍त होता है, परिदृश्‍य चालू लेखा और उसके वित्‍त पोषण के लिए अनुकूल है, हालांकि अमरीका में मौद्रिक नीति के बदलावों से उत्‍पन्‍न जोखिमों और यूरोजोन में होने वाले उतार-चढ़ावों पर निगरानी आवश्‍यक है। विनिर्माण क्षेत्र की चर्च करते हुए कहा गया है कि प्रधानमंत्री के ‘’मेक इन इंडिया’’ को हासिल करने के लिए स्किल इंडिया के उद्देश्‍य को उच्‍च प्राथमिकता दी गयी है, भारतीय विनिर्माण क्षेत्र वर्तमान में जिस नकारात्‍मक संरक्षण का सामना कर रहा है, उसे दूर करने के लिए उपाय तत्‍काल लागू किये जा्ये . भारत के निर्यात में गिरावट आने के कारण कारोबार का वातावरण लगातार चुनौतिपूर्ण होता जा रहा है।श्रम और भूमि कानूनों के सुधार तथा कारोबार की लागत में कमी लाने के लिए राज्‍यों और केंद्र को संयुक्‍त प्रयास करने की आवश्‍यकता है। जिसमे कहा गया है कि वित्‍तीय विश्‍वसनीयता और मध्‍यावधि लक्ष्‍यों के बीच तालमेल सुनिश्चित करने के लिए, आगामी बजट में वित्‍तीय और राजस्‍व घाटे में कमी लाने के लिए खर्च पर नियंत्रण की प्रक्रिया शुरू होगी तथा जेएएम नम्‍बर प्रधान मंत्री जन धन, आधार, मोबाइल पर आधारित नकद अंतरण योजना जरूरतमंदों तक सार्वजनिक संसाधन प्रभावी रूप से पहुंचाने की अपार सम्‍भावनाओं से युक्‍त है। सर्वेक्षण मे कहा गया है कि निजी निवेश को दीर्घावधि तक वृद्धि का प्रमुख वाहक बने रहना चाहिये, लेकिन अल्‍प से मध्‍यावधि सार्वजनिक निवेश को, विशेष रूप से रेलवे द्वारा किये गये निवेश को महत्‍वपूर्ण भूमिका निभानी होगी.बैंकिंग क्षेत्र के बारे मे इसमे कहा गया है कि बैंकिंग व्‍यवस्‍था नीति के अनुसार संचालित है, जो दोहरे वित्‍तीय निरोध (रिप्रैशन) उत्‍पन्‍न करती है और प्रतिस्‍पर्धा में बाधक बनती है। इसका समाधान विनियमन के 4-डी में हैं-डिरेगुलेट, डिफ्रेंशिएट, डाइवर्सीफाई और डिइंटर। महिला विकास को देश की प्रगति का सर्वाधिक अहम बिंदु बताते हुए इसमे कहा गया है कि महिलाओं की स्थिति और उनसे होने वाले व्‍यवहार में सुधार लाना विकास की प्रमुख चुनौती है। परिवार नियोजन के लक्ष्‍यों और प्रोत्‍साहनों के प्रावधान अवांछित रूप से महिला नसबंदी पर केंद्रित हैं। परिवार नियोजन कार्यक्रम महिला के प्रजनन स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारों के अनुरूप होने चाहिये। पर्यावरण को देश की विकास नीतियो से गहरे तौर पर जोड़ते हुए कहा गया है कि भारत ने पर्यावरण के अनुकूल अनेक कदम उठाये हैं। जलवायु परिवर्तन पर आगामी पेरिस वार्ता में यह सकारात्‍मक योगदान दे सकता है। हाल मे 14वें वित्‍त आयोग की सिफारिशो की चर्चा करते हुए इसमे कहा गया है कि रिपोर्ट मे केंद्र और राज्‍यों के बीच राजस्‍व के बंटवारे के लिए दूरगामी परिवर्तनों के सफल कार्यान्‍वयन का सुझाव दिया है, जिससे सहयोगात्‍मक संघवाद को बढ़ावा मिलेगा। वीएनआई

Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Connect with Social

प्रचलित खबरें

© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india