नई दिल्ली. 08 जुलाई, (वीएनआई) भारत के सबसे सफल कप्तान रहे सौरव गांगुली का आज 43 वां जन्मदिन है। अपनी कप्तानी में गांगुली ने 2002 में इंग्लैंड मे नेटवेस्ट ट्रॉफी में जीत दिलाई थी और 2003 वर्ल्ड कप में भारत को फाइनल में पहुँचाया था। गांगुली ने भारत के लिए 1996 से 2008 तक टेस्ट और 1992 से 2007 तक एकदिवसीय मैच खेले। गांगुली ने भारत के लिए 311 एकदिवसीय और 113 टेस्ट खेले है और भारत के लिए 49 टेस्ट 146 एकदिवसीय में कप्तानी की है।
पूर्व भारतीय कप्तान का जन्म 8 जुलाई 1972 को बेहाला (कोलकाता) में हुआ था। गांगुली एक उच्च वर्गीय परिवार से सम्बन्ध रखते है इनके पिता चंडीदास गांगुली एक प्रिंटिंग प्रेस चलाते है। गांगुली को बचपन से महाराज नाम से पुकारा जाता था। गांगुली ने 1996 के सफल इंग्लैंड दौरे के बाद 1997 में अपने बचपन के प्यार डोना गांगुली से विवाह कर लिया।
गांगुली ने अपने क्रिकेट जीवन की शुरुवात अपने बड़े भाई स्नेहशीस गांगुली जो की बंगाल के लिए खेलते थे उनको देख कर की। बचपन से उनमे क्रिकेट के लिए एक दिवानगी थी, बंगाल की तरफ से खेलते हुए उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया और 1992 में उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ एकदिवसीय मैच में चुना गया, मगर बड़े खिलाड़ियों से अनुशासनहीनता के कारण उन्हें टीम से निकाल दिया गया। फिर 1993-94 और 1994-95 में रणजी सत्र में अच्छा प्रदर्शन किया और 1996 में इंग्लैंड दौरे पर नवजोत सिंह सिद्धू के अस्वस्थ होने के कारण इन्हें टीम में जगह दी गई वहां इन्होने राहुल द्रविड़ के साथ लॉर्ड्स में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और अपने पहले ही टेस्ट में 132 रन की पारी खेल पहला शतक लगाया, इसी दौरे पर गांगुली ने अगले ही टेस्ट में एक और टेस्ट शतक लगाकर भारतीय टीम में अपनी जोरदार वापसी की। 1999 के वर्ल्डकप में गांगुली ने श्रीलंका के खिलाफ 183 रन की ऐतिहासिक पारी खेली जिसमे उन्होंने 16 चौके और सात छक्के भी लगाये और द्रविड़ के साथ 318 की रिकोर्ड़तोड़ साझेदारी निभाई। गांगुली ने भारत के लिए 311 एकदिवसीय मैच खेले जिसमे उन्होंने 11363 रन, 22 शतक, 72 अर्धशतक, 100 विकेट लिए। 113 टेस्ट मैच में उन्होंने 7212 रन, 16 शतक, 35 अर्धशतक, 32 विकेट लिए।
वर्ष 2000 में जब भारतीय टीम फिक्सिंग के विवादों से गुजर रही थी तो गांगुली को भारतीय टीम की कमान सौपी गई और गांगुली ने टीम को फिर से खड़ा किया। युवराज, हरभजन, कैफ, सहवाग, जहीर जैसे सरीखे खिलाड़ी गांगुली की खोज माने जाते है। गांगुली ने अपनी काप्तानी में टीम को विदेशों में जीतने की आदत सिखाई और टेस्ट में टीम को आगे पहुँचाया। 2002 नेटवेस्ट ट्रॉफी में गांगुली की टीम ने इंग्लैंड को इंग्लैंड में 323 रन का पीछा करके सीरीज जीती। 2003 वर्ल्डकप में गांगुली ने टीम इंडिया को फाइनल तक पहुँचाया था। 2000 से 2005 तक गांगुली ने भारत की अगुवाई की। गांगुली ने भारत के लिए 49 टेस्ट में काप्तानी की जिसमे भारत ने 21 जीते और 13 हारे। 146 एकदिवसीय में भारत को 76 जीत और 65 हार मिली।
एक तरफ गांगुली जहाँ सफल कप्तान तो रहे मगर कप्तान रहते वो अपनी बल्लेबाज़ी में ज्यादा कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सके जिस वजह से वो विवादों में घिरे रहे और 2006 में उनसे कप्तानी छीन ली गई और उनका तत्कालीन भारतीय प्रशिक्षक ग्रेग चेपल से भी विवाद रहा और उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। हालाँकि 2006-2007 में उन्होंने वापसी जरुर की मगर प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा और 2008 में उन्होंने टेस्ट और वनडे मैच से क्रिकेट से सन्यास ले लिया। गांगुली इस समय बंगाल क्रिकेट संघ के सचिव होने के साथ कमेंट्रेटर भी है। हाल ही में गांगुली को बीसीसीआई की सलाहकार समिति का सदस्य भी बनाया गया है जिसमे पूर्व कप्तान सचिन और दिग्गज टेस्ट खिलाडी लक्ष्मण भी शामिल है।
गांगुली को लोग प्रिंस ऑफ़ कोलकाता और दादा के नाम से भी पुकारे है। गांगुली को क्रिकेट में उनके योगदान के लिए 2004 में पद्मश्री से नवाजा गया। हमारी तरफ से भारतीय क्रिकेट के महाराज और दादा गांगुली को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाये।