भगवान महावीर केअहिंसा और करूणा के सिद्धांतों को देश विदेश में नमन

By VNI India | Posted on 21st Apr 2024 | आध्यात्मिक
Mahavir Jayanti

नई दिल्ली, 21अप्रैल (  शोभना/अनुपमा जैन/वीएनआई) अहिंसा, प्रेम और करूणा के प्रतीक जैन तींर्थकर  महावीर  स्वामी  का जन्म कल्याणक पर्व आज देश विदेश में श्रद्धा और धूमधाम  से मनाया गया. इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु , प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी   व  अनेक राजनेताओं  ने देशवासियों को शुभकामनायें दी और कहा कि भगवान महावीर के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं.जैन श्रद्धालुओं  ने देश विदेश में मंदिरों मे पूजा अर्चना, शोभा यात्रायें निकाली और जरूरत मंदों के लियें भंडारें आयोजित किये. राजधानी में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुयें मुख्य समारोह के अलावा दिल्ली के विभिन्न मंदिरों में अयोजित पूजा अर्चना और शोभा यात्रा के अलावा कुंडलपुर मे हाल ही में समाधिस्थ दार्शनिक  तपस्वी संत  आचार्य विद्द्यासागर के उत्तराधिकारी आचार्य समयसागर की उपस्थति मे आयोजित समारोह विशेष ध्यान का केन्द्र रहा. समारोह में आचार्य सुधा सागर ्जी महाराज, आचार्य अभय सागर जी महाराज, आचार्य प्रमाण सागर महाराज सहित अनेक पूज्य मुनि गण, आर्यका माता जी, एवं श्रधेय  मौजूद रहें. भगवान महावीर स्वामी का 2623 वां जन्मकल्याणक महोत्सव के अवसर पर  छत्तीसगढ के गौरेला  के जैन मंदिर में शोभायात्रा विशेष पूजन अभिषेक किया गया. इसी अवसर पर भगवान महावीर की जन्म स्थली कुंडलपुर में विशेष समारोह हुये. अयोध्या स्थित भगवान आदिनाथ के दिगंबर जैन मंदिर में पूज्य गणिनी प्रमुख अर्यिका ज्ञान मति माता जी और ओर श्रमणी आर्यिका चंदना मति माताजी के तत्वाधान मे  हुये समारोह मे कहा कि अहिंसा से ही विश्व में शांति संभव हैं. राजस्थान के बीकनेर स्थित पार्श्व दिगंबर जैन मंदिर और राजधानी स्थित मयूर विहार  ऋषभ देव दिगंबर जैन मंदिर में  आचार्य श्रुतसागर की प्रेरणा से हुयें समारोह में पूजा पाठ , शोभा यात्रा विशेष आक्र्षण के केन्द्र रहे जिन में बड़ी तादाद मे श्र्द्धालुओं  ने हिस्सा लिया.

इस के साथ ही अमरीका, इंगलेंड और कनाडा सहित अनेक देशों मे बसे जैन श्रद्धालुओं ने भी भक्तिभाव और श्रद्धा भाव से समारोह मनाया और भगवान महावीर के अहिंसा, प्रेम और करूणा के सिद्धांतों के प्रति समर्पण  दोहराया.
 
 इस अवसर पर राष्ट्रपति ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि भगवान महावीर स्वामी अहिंसा और करूणा के प्रतीक हैं. यह पर्व हमें शांति और प्रेम का संदेश देता हैंभगवान महावीर स्वामी  ने अहिंसा, ब्रह्मचर्य,सत्य और भाईचारें का संदेश दिया जिस से एक आदर्श और सभ्य समाज बन सकें, उन के सिद्धांत हमेशा मानवता के लियें शाश्वत रहेंगे  

प्रधान मंत्री ने भव्य भारत मंडपम में आयोजित मुख्य समारोह में कहा कि भारत की आध्यात्मिक प्रेरणा है, ्जो दुनिया भर को  संदेश  देती है. उन्होंने कहा कि हम ढाई हजार वर्ष बाद भी आज भगवान महावीर का निर्वाण-दिवस मना रहे हैं, और हम ये जानते हैं कि, आगे भी कई हजार वर्ष बाद भी ये देश भगवान महावीर से जुड़े ऐसे उत्सव मनाता रहेगा। सदियों और सहस्राब्दियों में सोचने का ये सामर्थ्य...ये दूरदर्शी और दूरगामी सोच...इसीलिए ही, भारत न केवल विश्व की सबसे प्राचीन जीवित सभ्यता है, बल्कि, मानवता का सुरक्षित ठिकाना भी है

 प्रधान मंत्री ने  मुनि जनों साधु संतों और साधवियों और श्रद्धालुओं की मौ जूदगी में विशेष डाक टिकट और  सिक्के रिलीज़ कियें. इस अवसर पर  आचार्य  श्री प्रज्ञसागर जी मुनिराज,  उपाध्याय पूज्य श्री रविन्द्रमुनि जी महाराज साहिब, साध्वी श्री सुलक्षणाश्री जी महाराज साहिब,  साध्वी श्री अणिमाश्री जी महाराज साहिब और केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल , श्रीमती मीनाक्षी लेखी  सहित बड़ी तादाद मे  श्रधालु  उपस्थित थे.

इस अवसर प्रधान मंत्री ने कहा कि भगवान महावीर का ये दो हजार पांच सौ पचासवां निर्वाण महोत्सव हजारों वर्षों का एक दुर्लभ अवसर है। ऐसे अवसर, स्वाभाविक रूप से, कई विशेष संयोगों को भी जोड़ते हैं। ये वो समय है जब भारत अमृतकाल के शुरुआती दौर में है। देश आज़ादी के शताब्दी वर्ष को स्वर्णिम शताब्दी बनाने के लिए काम कर रहा है। इस साल हमारे संविधान को भी 75 वर्ष होने जा रहे हैं। इसी समय देश में एक बड़ा लोकतान्त्रिक उत्सव भी चल रहा है। देश का विश्वास है यहीं से भविष्य की नई यात्रा शुरू होगी.

उन्होंने कहा कि देश के लिए अमृतकाल का विचार, ये केवल एक बड़ा संकल्प ही है ऐसा नहीं है। ये भारत की  आध्यात्मिक प्रेरणा है. हम ढाई हजार वर्ष बाद भी आज भगवान महावीर का निर्वाण-दिवस मना रहे हैं। और हम ये जानते हैं कि, आगे भी कई हजार वर्ष बाद भी ये देश भगवान महावीर से जुड़े ऐसे उत्सव मनाता रहेगा। सदियों और सहस्राब्दियों में सोचने का ये सामर्थ्य...ये दूरदर्शी और दूरगामी सोच.प्रधान मंत्री ने कहा कि आज संघर्षों में फंसी दुनिया भारत से शांति की अपेक्षा कर रही है। नए भारत के इस नई भूमिका का श्रेय हमारे बढ़ते सामर्थ्य और विदेश नीति को दिया जा रहा है। लेकिन इसमें हमारी सांस्कृतिक छवि का बहुत बड़ा योगदान है। आज भारत इस भूमिका में आया है, क्योंकि आज हम सत्य और अहिंसा जैसे व्रतों को वैश्विक मंचों पर पूरे आत्मविश्वास से रखते हैं। हम दुनिया को ये बताते हैं कि वैश्विक संकटों और संघर्षों का समाधान भारत की प्राचीन संस्कृति में है, भारत की प्राचीन परंपरा में है। इसीलिए, आज विरोधों में भी बंटे विश्व के लिए, भारत ‘विश्व-बंधु’ के रूप में अपनी जगह बना रहा है हमारे इन प्रयासों से दुनिया में एक उम्मीद ही नहीं जगी है,  बल्कि भारत की प्राचीन संस्कृति को लेकर विश्व का नज़रिया भी बदला है. वी एन आई


Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Quote of the Day:Teaching
Posted on 21st Nov 2024
Today in History-Impact of TV
Posted on 21st Nov 2024

Connect with Social

प्रचलित खबरें

© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india