नई दिल्ली, 22 जुलाई, (वीएनआई) राज्यसभा में आज मानवाधिकार संरक्षण संशोधन विधेयक 2019 पारित हो गया है। दिन भरी चली कार्यवाही के बाद इसे पास कर दिया।
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में लाए गए मानवाधिकार संरक्षण संशोधन प्रस्ताव पर कहा कि चीफ जस्टिस के ना मिलने पर जजों की नियुक्ति पर कहा कि अगर जस्टिस नहीं मिलेगा तब कौन इस पद को स्वीकार करेगा। उन्होंने आगे कहा कि चीफ जस्टिस और जस्टिस में ज्यादा फर्क नहीं है और दोनों अधिकारों में कोई अंतर नहीं है। उन्होंने कहा कि कार्यकाल पांच से घटाकर 3 साल इसलिए किया गया है क्योंकि उम्र का प्रावधान है और निश्चित उम्र से ज्यादा के जज को नहीं ले सकते।
गौरतलब केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोगों को और अधिक सक्षम बनाने के लिए यह विधेयक लाया गया है। इससे पहले इस बिल को लोकसभा में मंजूरी मिल गई थी।
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