नई दिल्ली, 28 नवंबर (वीएनआई)| प्राकृतिक गैस को जीएसट के तहत लाने का आह्वान करते हुए पेट्रोलियम मंत्री धमेंद्र प्रधान ने आज कहा कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और सुरक्षा हासिल करने के लिए देश को एक व्यापक नीति की जरूरत है।
प्रधान ने यहां ऊर्जा सम्मेलन में सरकार के भारतीय तेल परिशोधन संयंत्रों का लक्ष्य दोगुना कर 60 करोड़ टन करने का बचाव करते हुए कहा कि सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को विकास के लिए ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों की जरूरत होती है। भारत में ब्रिटिश कंसल्टिंग बहुराष्ट्रीय केपीएमजी द्वारा यहां आयोजित 'एनरिच-2017' में मंत्री ने कहा, "गैस एक स्वच्छ ईंधन है और इसे जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए, जबकि कोयले को पहले ही नई अप्रत्यक्ष कर शासन के तहत 5 फीसदी के स्लैब में रखा गया है।"
प्राकृतिक गैस समेत पेट्रोलियम पदार्थो को अभी भी जीएसटी से बाहर रखा गया है, हालांकि उद्योग जगत इसे जीएसटी के तहत रखने की मांग कर रहा है।उन्होंने कहा, हमें सभी ऊर्जा वर्टिकल के लिए एक समग्र नीति की जरूरत है. जिसमें हाइड्रोकार्बन, कोयला, नवीकरणीय ऊर्जा, हाइड्रो और परमाणु ऊर्जा शामिल है। एक व्यापक ऊर्जा नीति के बारे में प्रधान की चिंता घरेलू सौर और पवन ऊर्जा की नीलामी के दौरान इसकी कम दरों के संदर्भ में है, जिससे कोयला आधारित तापीय संयंत्र की व्यवहार्यता को लेकर चिंता पैदा हो रही है।
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