गावों से शहर
छोड़ कर अपने लोग ,छोड़ कर सर का छप्पर
खुले आसमानों के के नीचे रहने चले आते हैं
ये गावों से शहर मुहं के निवालों की खातिर
लम्बी दूरियां तय कर के चले आते हैं
....सुनील जैन
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