सात दशक बाद पहली बार सैन्य उपकरण बेचेगा जापान

By Shobhna Jain | Posted on 28th Feb 2015 | देश
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टोक्यो,1 सितंबर(वीएनआई) 7 दशक पहले खत्म हुए द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जापान, किसी भी देश को सैन्य उपकरण न बेचने की अपनी पाबंदी हटाते हुए सोमवार को भारत और जापान के बीच समुद्र में उतरने लायक एम्फीबियस प्लेन यूएस-2 को भारत को बेचने और इसे बनाने के लिए जरूरी प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने को राजी हो गया है इससे रक्षा संबंधों और सामरिक साझेदारी को और ऊंचे स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है ।इससे भारतीय नौसेना की क्षमता में और बढोतरी हो जायेगी जापान शिनमाव्या द्वारा निर्मित विशेष नभ-जल विमान 'यूएस-2' सबसे मजबूत विमानों में से एक है। 30-38 किलोमीटर प्रति घंटे की विंड स्पीड पर इसे समुद्र के साथ-साथ नदियों और झीलों पर भी ऑपरेट किया जा सकता है। 30 लोगों और 18 टन भार के साथ यह एक बार में 4,500 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है। इस करार के बाद भारत पहला ऐसा देश जिसे जापान दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सैन्य साजो-सामान बेचेगा। पीएम नरेंद्र मोदी और जापानी पीएम शिंजो एबे के बीच तोक्यो में हुई शिखर वार्ता के बाद जारी किए गए संयुक्त बयान में कहा गया कि भारत के साथ जापानी एयरक्राफ्ट और जापानी तकनीक साझा करने के तहत यूएस-2 एम्फीबियस एयरक्राफ्ट की डील साइन की गई है। इसके जरिए भारतीय एयरक्राफ्ट उद्योग के विकास के लिए एक रोड मैप तैयार किया जा सकेगा। मोदी सरकार की नीतियों को ध्यान में रखते हुए ये प्लेन भारत में तैयार किए जाएंगे। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह पहली बार होगा जब जापान किसी देश को सैन्य उपकरण बेचेगा। अपनी हार के बाद जापान ने हथियार और सैन्य उपकरण बेचने पर पाबंदी लगा दी थी। इसलिए यह डील भारत और जापान के रिश्तों की मजबूती का भी संकेत है। दोनों ही देश हर तरह से और खास तौर से रक्षा और व्यापार के क्षेत्र में एक-दूसरे को पूरा सहयोग कर रहे हैं ताकि चीन की विस्तारवादी नीति और उसके दिन-प्रतिदिन बढ़ते आक्रामक रवैये को चुनौती दी जा सके।

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