सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर सुनवाई पूरी- फैसला सुरक्षित

By Shobhna Jain | Posted on 18th May 2017 | देश
altimg
नई दिल्ली, 17 मई (वीएनआई) छह दिन की व्यापक सुनवाई के बाद आज सुप्रीम कोर्ट की पॉच सदस्यीय संविधान पीठ में तीन तलाक मामले पर सुनवाई ्पूरी हो गई .न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है. गौरतलब है कि 11 मई से सुप्रीम कोर्ट छुट्टियो के बावजूद मामले की गंभीरता देखते हुए तीन तलाक के मुद्दे पर सुनवाई ्च कर रहा था 5 जजों की बेंच इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट में यह सुनवाई 6 दिनों तक चली. कोर्ट ने आज की सुनवाई में दोनों पक्षों की बात को सुना, जिसके बाद फैसले को सुरक्षित रखा. 6 दिन की सुनवाई में कोर्ट में इस मुद्दे से जुड़े सवलो पर गहन बहस की. इस दौरान केंद्र की ओर से मुकुल रोहतगी ने और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल ने अपनी-अपनी दलीलें दी. इससे पहले कल सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने तीन तलाक को 'दुखदायी' प्रथा करार देते हुए न्यायालय से अनुरोध किया कि वह इस मामले में 'मौलिक अधिकारों के अभिभावक के रूप में कदम उठाए.' देश के बंटवारे के वक्त के आतंक तथा आघात को याद करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 को संविधान में इसलिए शामिल किया गया था, ताकि सबके लिए यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी धार्मिक भावनाओं के बुनियादी मूल्यों पर राज्य कोई हस्तक्षेप न कर सके. सिब्बल ने राम से ्जुड़ी आस्था की तुलना ट्रिपल तलाक की तुलना से की तीन तलाक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता की तरफ से न्यायालय में पेश हुईं वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि न्यायालय मामले पर पिछले 67 वर्षो के संदर्भ में गौर कर रहा है, जब मौलिक अधिकार अस्तित्व में आया था न कि 1,400 साल पहले जब इस्लाम अस्तित्व में आया था. उन्होंने कहा कि न्यायालय को तलाक के सामाजिक नतीजों का समाधान करना चाहिए, जिसमें महिलाओं का सबकुछ लुट जाता है. संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत कानून के समक्ष बराबर तथा कानून के समान संरक्षण का हवाला देते हुए जयसिंह ने कहा कि धार्मिक आस्था तथा प्रथाओं के आधार पर देश महिलाओं व पुरुषों के बीच किसी भी तरह के मतभेद को मान्यता न देने को बाध्य है. सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर चल रही बहस में बुधवार को केंद्र ने पूरी मजबूती से अपनी दलीलों को शीर्ष कोर्ट के सामने रखा. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि केंद्र अभी ट्रिपल तलाक पर बहस कर रहा है, लेकिन वह तलाक के सभी मौजूदा तरीकों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर एक कदम आगे बढ़ाकर विधेयक लाने को भी तैयार है. के छठे दिन याचिकाकर्ता शायरा बानो की ओर से दलील दी गई कि तीन तलाक ना तो इस्लाम का हिस्सा है और ना ही आस्था का. उन्‍होंने कहा कि मेरी आस्था ये है कि तीन तलाक मेरे और ईश्वर के बीच में पाप है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी कहता है कि ये बुरा है, पाप है और अवांछनीय है. ये इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है. कॉग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद भी कह रहे हैं कि ये पाप है. महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी मानता है कि तीन तलाक बुरा है. केंद्र सरकार भी कह रही है कि ये महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है लेकिन सरकार कानून लेकर नहीं आएगी. ऐसे में याचिकाकर्ता कहां जा सकती है जबकि उसके अधिकारों का हनन हो रहा हो क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ही नागरिकों के मानवाधिकारों का संरक्षक है तो कोर्ट को ही इस मामले में इंसाफ देना चाहिए. शायरा बानो ने भावुक हो कर कहा "कोई कहता है कि संसद जाओ और कानून बनाने की मांग करो लेकिन कानून बनेगा भी तो वो आगे के लिए होगा. उससे मेरे बच्चे वापस नहीं आएंगे, मुझे इंसाफ कैसे मिलेगा?"

Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Connect with Social

प्रचलित खबरें

आज का दिन :
Posted on 21st Mar 2018
© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india