नई दिल्ली,2 मई (शोभनाजैन/वीएनआई)भारत ने आज इस बात को गलत बताया कि संयुक्त राष्ट्र की एक मध्यस्थता अदालत के फैसले मे इतालवी नौसैनिक को रिहा कर उसे घर वापस जाने की इजाजत दे दी है।
उच्च पदस्थ सूत्रो ने आज इटली सरकार के हवाले से आयी खबर पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इटली ने संयुक्त राष्ट्र अदलात के फैसले की गलत व्याख्या की है, जिससे कि लग रहा है कि अदालत ने नौसैनिक की रिहाई का आदेश दिया है। सूत्रो ने कहा, 'इटली न्यायाधिकरण के आदेश की गलत व्याख्या कर रहा है। किसी भी नौ सैनिक को बरी नहीं किया गया और यह कहा है कि ईक नौ सैनिक गिरोने की जमानत की शर्त भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा तय की जाएगी. सूत्रो के अनुसार न्यालय ने मात्र यह सिफारिश की इन शर्तो को और उदार कर दिया जाये।'
वर्ष 2012 में एक समुद्री तेल टैंकर 'एनरिका लेक्सी' पर सवार दो इतालवी नौसेनिकों को दो भारतीय मछुआरों को गोली मारने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि उनका कहना था कि उन्होंने मछुआरों को गलती से समुद्री डाकु समझ लिया था। इन दो में एक मरीन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से इटली लौट चुका है, जबकि भारत सरकार ने दूसरे नौसैनिक सल्वातोर गिरोन के देश छोड़ने पर रोक लगा रखी है। वह पिछले चार वर्ष से वह दिल्ली स्थित इतालवी दूतावास में रह रहा है।
इस मामले की वजह से भारत और इटली के बीच संबंधों में काफी खटास आ गई थी, हालांकि पिछले साल दोनों देशों ने मामले को हेग में स्थाई मध्यस्थता न्यायालय ले जाने और उसका फैसला मानने पर सहमति जताई थी।
इतालवी विदेशमंत्री ने मध्यस्थता अदालत के फैसले पर जारी एक बयान में कहा कि शुरुआती फैसले में कोर्ट ने फैसला किया कि गिरोन ने घर जाने की इजाजत मिलनी चाहिए। इसमें कहा गया कि गिरोन की जल्द से जल्द वापसी सुनिश्चित करने के लिए वह भारत से तत्काल संपर्क करेंगे। वहीं दिल्ली में सूत्रों ने कहा कि अगर गिरोन को जमानत मिल जाती है, तो सरकार इसे लेकर इटली पर शर्त लगाएगी कि वह मामले की सुनवाई में जरूरत पड़ने पर गिरोन की भारत वापसी का वचन दे।वी एन आई