वाशिंगटन, 24 दिसंबर(अनुपमाजैन/वीएनआई) माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक और अरबपति बिल गेट्स का वॉशिंगटन स्थित 'शाही हाय टेक'बंगला, बिल गेट्स जब कार से घर की तरफ लौटते है तो उनकी कार का जीपीएस सिस्टम उनके बंगले मे रखे नेटवर्क वाले बाथ टब को पानी गर्म करने का निर्देश देता है और पानी गर्म होने लगता है.बंगले मे 23 कारो को रखने वाले अनेक गेरेज है जिसमे से एक् गेरेज मे बटन दबाते ही बास्केट्बॉल का कोर्ट बन जाता है .वाशिंगटन के अत्याधिक अमीर माने जाने वाले इलाके मे बना यह बंगला खूबसूरत इंटीरियर के साथ आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस है। वॉशिंगटन झील के पास मौजूद इस बंगले का नाम शानाडू है।गेट्स के इस प्रॉपर्टी की कीमत लगभग 123 मिलियन डॉलर (लगभग 777 करोड़ रुपए) है
ये करीब 1.5 एकड़ (66,000 स्क्वेयर फीट) में फैला हुआ है, जिसमें 7 बेडरूम, 24 बाथरूम, 6 किचन, स्विमिंग पूल, 2,300 स्क्वेयर फीट का रिसेप्शन हॉल और 2,500 स्क्वेयर फीट में जिम का इंतजाम किया गया है।
घर की फ्लोरिंग की खासियत यह है कि किसी भी वक्त परिवार के सदस्य या फिर सुरक्षाकर्मी कदमों के दबाव से पता लगा लेते हैं कि घर में कौन मौजूद है। घर की लाइट्स खुद-ब-खुद जलती और बुझती हैं। घर में लगे हुए स्पीकर में बजने वाला संगीत घर में मौजूद व्यक्ति को एक कमरे से दूसरे कमरे तक फॉलो करता है।
बिल गेट्स के घर की दीवारें भी हाईटेक हैं। घर की दीवारों पर ऐसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है जिससे इसे टच करके इसके आर्टवर्क को बदला जा सकता है। घर को देखने आने वाले लोगों के निरीक्षण के लिए उन्हें घर में घुसने से पहले एक माइक्रोचिप दी जाती है। ये चिप पूरे घर में सिग्नल भेजती है।
शानाडू में 60 फीट गहरा स्विमिंग पूल बनाया गया है। इस पूल की खास बात यह है कि इसमें पानी के अंदर म्यूजिक सिस्टम लगा हुआ है।पुल के पास एक लॉकर रूम बनाया गया है जिसमें 4 शावर और 2 बाथ टब हैं। गेट्स के लिए सेपरेट बीच बनाया गया है। इतना ही नहीं इस बीच की रेत भी इम्पोर्टेड है। इस रेत को कैरिबियन सी से मंगाया गया है। इस हाय टेक बंगले के साथ एक और चीज है जो बिल गेट्स के दिल के सबसे करीब है, वह है यहा लगा 40 वर्ष पुराना मेपल का पेड़ जिस की खैरियत पर गेट्स कम्पुटर्स और सेन्सर्स के जरिये खुद निगरानी रखते है
बंगले में 2,100 स्क्वेयर फीट में बनी एक आलीशान लाइब्रेरी है। इसे बनाने में 30 मिलियन डॉलर (लगभग 190 करोड़ रुपए) खर्च हुए हैं। इस घर को 300 मजदूरों ने मिलकर बनाया है। जिनमें से 100 इलेक्ट्रीशियन थे।वी एन आई