गाँव का अंधियारा मिटाती- नूर का एक क़तरा है नूरजहाँ

By Shobhna Jain | Posted on 30th Nov 2015 | देश
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कानपुर 30 नवंबर (अनुपमाजैन/वीएनआई) कानपुर शहर से 25 किलोमीटर दूर बने शिबली के बिना सुख सुविधाओं वाले गांव मे पिछले तीन बरस से अंधेरे के खिलाफ जंग छेड़ कर गाँव में नूर फैला रही है नूरजहाँ -और गांव को रोशन करने का उनकी तरीका भी बिलकुल अनूठा है. तीन साल पहले तक 15 रुपये रोज पर खेतों में मजदूरी करती थी वो आज गांव के पचास लोगो को 100 रुपये प्रति माह के किराये पर सौर उर्जा की लालटेन किराये पर देकर उनकी ज़िन्दगियां रोशन कर रही है . गांव में एक कम्युनिटी रेडियो चलाने वाली स्वंय सेवी संस्था ने तीन साल पहले नूरजहां को न केवल अपने पैरो पर खड़ा कर दिया बल्कि पूरे गॉव को रोशन करने मे मदद की ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में सौर ऊर्जा से अपने गांव को रोशन कर रही नूरजहाँ की गौरवगाथा दुनिया के सामने पेश की और देखते देखते नूरजहॉ का नूर दुनिया मे फैल गया. कल तक अनजानी सी नूरजहाँ खास हो गयी, नूरजहाँ के घर पर क्या आम, क्या खास सभी का और मीडिया का भी जमावड़ा लग गया। काफी खुश दिखायी पड़ रही नूरजहाँ को उम्मीद है कि अब उन्हें अपना काम बढाने के लिये सरकारी सहायता मिल सकेगी। गांव के पचास लोगों को 100 रुपये प्रति माह के किराये पर सौर ऊर्जा की लालटेन किराये पर देकर अपने परिवार के छह सदस्यो का पेट पालने वाली नूरजहां आज से तीन साल पहले तक खेतों में मजदूरी करती थी। शाम को वह इस पैसे का आटा एवं अन्य सामान लाकर अपना और अपने परिवार का पेट पालती थी । लेकिन गांव में एक कम्युनिटी रेडियो चलाने वाली स्वंय सेवी संस्था ने तीन साल पहले नूरजहां की जिन्दगी ही बदल दी और उसे अब अपने पैरो पर खड़ा कर दिया। नूरजहां को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री द्वारा उसका नाम रेडियो पर लेने से शायद अब सरकार से उसको कुछ आर्थिक सहायता मिल सके और वह अपनी 50 सौर ऊर्जा लालटेनों को बढ़ाकर 100 कर लें क्योंकि गांव में पर्याप्त बिजली न होने के कारण बच्चों को पढाने के लिये उसकी सौर लालटेन की मांग अब दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। प्रधानमंत्री द्वारा सराहना किये जाने से बेहद खुश, 55 बरस की नाती पोतों वाली नूरजहां ने बातचीत में कहा कि बीस साल पहले मेरे पति का निधन हो गया था वह बैंड मास्टर थे। उनके निधन के समय बच्चे बहुत छोटे थे और खेती की जमीन भी नही थी। फिर बच्चों का पेट पालने के लिये गांव के खेतों में 15 रुपये रोज की मजदूरी करने लगी। इससे वह अपने परिवार का पेट पालती थी। नूरजहां और उसके परिवार का पेट कभी कभी ही भर पाता था क्योंकि मजूदरी रोज नही मिलती थी। आर्थिक तंगी और गरीबी से जूझ रही नूरजहां को फिर तीन साल पहले गांव में कम्युनिटी रेडियो चलाने वाली एक स्वंय सेवी संस्था ने उसके घर पर सौर ऊर्जा की एक प्लेट लगवाई और सौर ऊर्जा से चलने वाली एक लालटेन दी जिससे वह अपना घर रोशन करती थी। नूरजहां ने बताया कि जब उसे कभी कभी मजदूरी नही मिलती थी गांव के लोग अपने बच्चों को पढ़ाने के लिये उससे लालटेन ले जाते थे बदले में उसे कुछ पैसे दे जाते थे। जब स्वंय सेवी संस्था को यह पता चला कि वह इस लालटेन को किराये पर चलाने लगी है तब उन्होंने उसे कुछ लालटेन और लाकर दी। इस तरह धीरे-धीरे उसके पास आज 50 सौर ऊर्जा लालटेन हो गयीं तथा उसके घर पर सौर ऊर्जा के पांच पैनल इस स्वंय सेवी संस्था ने लगवा दिये। अब गांव के लोग उससे रोजाना शाम को सौर लालटेन ले जाते है और सुबह उसे वापस दे जाते हैं। वह इन लालटेनों को चार्ज पर लगा देती है। वह कहती है कि परेशानी तब होती है जब बारिश होती है या फिर बादल होता है तब लालटेन चार्ज नहीं हो पाती और वह उस दिन किसी को भी लालटेन दे नहीं पाती। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब मन की बात में नूरजहां के इस सौर लालटेन का जिक्र किया तो उसके घर लोगो का तांता लग गया तब उसे मालूम हुआ कि उसकी एक लालटेन ने उसे पूरे देश में मशहूर कर दिया है। नूरजहाँ कहती है कि बहुत खुशी हुई कि देश के प्रधानमंत्री ने मेरा नाम लिया और मेरे काम को सराहा। लेकिन उसे इस बात का दुख भी है कि प्रदेश सरकार या जिला प्रशासन ने कभी उसकी इस काम के लिये मदद नहीं की और न ही कोई आर्थिक सहायता दी। लेकिन वह मदद करने वाली स्वंय सेवी संस्था की तारीफ करती नही थकती। तीन बेटों, दो बहुओं और एक पोते के परिवार की मुखिया नूरजहाँ कहती है कि आज जब इतने बड़े आदमी ने मेरा नाम लिया है तो मुझे उम्मीद है कि अब प्रदेश सरकार या केंद्र सरकार मेरे इस काम में मदद करेंगी और मैं अपने इस 50 लालटेन के काम को और बढ़ा कर 100 लालटेन कर सकूंगी क्योंकि गांव में बिजली न आने के कारण परीक्षाओं के दिनों में मां-बाप अपने बच्चों को पढ़ाने के लिये अधिक लालटेनों की मांग करते है जो मैं पूरा नही कर पाती हूं। नूरजहाँ ने बताया कि अब तो आसपास के गांव के लोग भी लालटेन मांगने आते हैं। उनसे पूछा गया कि वह अपने काम को केवल 100 लालटेनों तक ही क्यों सीमित रखना चाहती है तो वह बहुत ही मासूमियत से कहती हैं कि इससे ज्यादा हम संभाल नहीं पायेंगे और न ही ज्यादा पैसा कमाने की चाहते हैं। बस परिवार को सुकून से दो वक्त की रोटी मिल जाये इसी में हम खुश हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जैसे ही मन की बात में कानपुर की नूरजहां का नाम लिया कानपुर के भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी अपनी टीम के साथ दोपहर बाद नूरजहाँ के गांव पहुंच गये। पहले तो उन्होंने नूरजहां को फूल माला पहनाई बाद में शाल ओढ़ा कर उनका सम्मान किया। मैथानी ने कहा कि वह पत्र लिखकर केंद्र सरकार से नूरजहाँ की मदद करने का आग्रह करेंगे और अगर किन्ही कारणों से केंद्र सरकार से मदद न मिल पायी तो हम कानपुर के भाजपा विधायको और नेताओं से चन्दा कर एक अच्छी रकम इकठठा करके नूरजहाँ को देंगे ताकि वह अपनी सौर ऊर्जा वाले लालटेन परियोजना को और बढ़ा सकें. वीएनआई।

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