सागर, 6 अप्रैल(अनुपमाजैन/वीएनआई) संध्या वेला मे सि्द्धायतन मंदिर परिसर मे तेजी से घिरता अंधियारा और वातावरण मे बिखरा नीरव सन्नाटा जो सन्नाटा न्/न हो कर एक आध्यात्मिक शांति ज्यादा है.और इस अंधकार भरी नीरवता मे जैसे ही कुछ सीढिया चढ कर जब एक बंद दरवाजे का ताला खोला जाता है तो वहा सतरंगे कृत्रिम प्रकश से नहाती एक अदभुत चमक वाली भगवान महावीर की प्रतिमा नजर आती है और पल भर मे लगता है एक प्रकाश पुंज अवतरित हो गया जो शांति प्रेम और जीव दया का संदेश दे रहा है. यह स्थान है मध्य प्रदेश के इस सुप्रसिद्ध सासंकृतिक,आध्यात्मिक नगरी सागर का जहा एक आध्यात्मिक विश्वकीर्तिमान रचा जा रहा है और यह कीर्तिमान है भगवान महावीर की एक ऐसी विशाल स्फटिक मणि से निर्मित प्रतिमा स्थापित है जिसके बारे मे यहा के आयोजको का कहना है कि पहली बार स्फटिक मणि की इतनी विशाल प्रतिमा बनी है और जैन मान्यतानुसार सिद्ध भगवान की यह प्रतिमा स्फटिक मणि से निर्मित की गयी है|
मंदिर के प्रबंधन के अनुसार यह विश्व की अद्वितीय व महत्वपूर्ण बिम्ब है जो कि 130 कि ग्रा वजन का है| इसे लगभग 1टन की चट्टान से तराश कर चह महीनो मे बनाया गया है, इसके व्यवस्थापकों के अनुसार यह विश्व की्र्तिमान माना जा रहा है इसलिये इसे गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मे सम्मिलित करने के लिये आवेदन किया है, जो शीघ्र मान्य होने वाला है. उनके अनुसार आगामी महावीर जयंती को इस प्रतिमा की विधिवत जैन विधान से प्रतिष्ठा की जायेगी
उनके अनुसार इस बिम्ब की प्राणप्रतिष्ठा के अवसर पर होने वाले आयोजन को सामाजिक परंपराओं से हटकर मनाने की तैयारी की जा रही है ,जहां समाज मे धन वैभव का बोलबाला होता है वही इस आयोजन को बिना बोली व पैसे के लकी ड्रा द्वारा पात्रों ्का चयन कर सम्पन्न किया जायेगा, आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि इस प्रकार के आयोजन मे समाज के सभी वर्गों को धार्मिक अनुष्ठान मे शामिल होने का अवसर मिलेगा |
इसकी प्रतिष्ठा के अवसर पर ज्योतिषी गणना का विशेष ध्यान रखा गया गया है, भगवान महावीर के जन्म कल्याण के दिन ही विधि नायक भगवान महावीर का जन्म महोत्सव आयोजित होगा. वी एन आई