नई दिल्ली 5 जून (वीएनआई) हमारी प्रुथ्वी यानि हमारा आशियाना और अपने इस आशियाने के वजूद को बचाये रखने के लिये हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है जिससे अधिकसे अधिक लोगों को प्रकृति से जुड़ी समस्याओं के बारे में जागरुक किया जा सके और इसके समाधान के लिए मूर्त कदम उठाए जा सके।आज के औद्योगीकरण के दौर में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई चिंता का विषय बन गया है. इसी कारण दुनियाभर के इकोसिस्टम में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है. पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान करने का संकल्प लेने के उद्देश्य से ही हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है
तेज़ी से बदलते जलवायु परिवर्तन का कारण मानव द्वारा अपने घरों, कारखानों और परिवहन के लिए तेल, गैस और कोयले का उपयोग है.जब ये जीवाश्म ईंधन जलते हैं, तो वे ग्रीनहाउस गैसें छोड़ते हैं जिनमें ज़्यादातर कार्बन डाइऑक्साइड गैस होती है. ये गैसें धरती के सुरक्षा कवच का काम करने वाली ओज़ोन परत को नुक़सान पहुंचाती हैं. ओज़ोन परत में छेद होने की वजह से सूर्य की गर्मी धरती पर ज़रूरत से ज़्यादा पहुंचती है और इससे धरती का तापमान बढ़ जाता है और इस बढ़े हुए तापमान के कारण ग्लेशियर की बर्फ़ तेज़ी से पिघलने लगती है ्जिससे समुद्र का स्तर बढ़ जाता है.जलवायु परिवर्तन अब मानव जीवन के हर हिस्से को ख़तरे में डाल रहा है.इस ज्वलंत मुद्दे को इस तरह ही अनियंत्रित नहि छोडा जा सकता नही तो इंसान और प्रकृति सूखा, समुद्र के बढ़ते जलस्तर और प्रजातियों के बड़े पैमाने पर विलुप्त होने के साथ ही विनाशी गर्मी को झेलना पडेगा एक रिपोर्ट के अनुसार 19वीं शताब्दी की तुलना में दुनिया अब लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा गर्म है और वातावरण में CO2 की मात्रा में 50% की वृद्धि हुई है.
यही समय है जब हमे सतर्क हो जाना चाहिये क्योंकि क्योंकि प्लास्टिक हमारे खून तक पहुंच रहा है क्योंकि प्रकृति इसे वापस लौटा रही है।नेशनल प्रॉडक्टिविटी काउंसिल (एनपीसी) ने यूनाइटेड नेशन्स एनवायरनमेंट प्रोग्राम (यूनेप) के साथ मिलकर गंगा तट के किनारे बसे हरिद्वार, आगरा और प्रयागराज के किनारे प्लास्टिक प्रदूषण के स्रोत की पड़ताल के बाद दी गयी मे रिपोर्ट मे बताया कि , 25 फीसदी प्लास्टिक कचरा न रिसाइकल होता है न ही उसका सही तरीके से निपटारा होता है। वैज्ञानिक अध्ययनों में यह ्ग्यात हुआ है कि हमारे नमक में माइक्रोप्लास्टिक मिल रहा है। हम हर दिन हजारों टन प्लास्टिक कचरा पैदा कर रहे हैं। इसलिए गंगा से लेकर समुद्र तक में प्लास्टिक का कचरा बढ़ रहा है।
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोगों से स्वच्छ, जैव विविधता से भरपूर तथा सुंदर ग्रह के लिए अपनी दैनिक गतिविधियों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने का आग्रह किया।.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आज विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर विज्ञान भवन में होने वाले कार्यक्रम में भाग लेंगे। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर इस बार भारत मिशन, लाइफ मंत्र के तहत पर्यावरण अनुकूल जीवन का संदेश देगा। प्रधानमंत्री ने सबसे पहले 2021 में ग्लासगो में आयोजित यूएनएफसीसी कॉप-26 में इसका जिक्र किया था।
आपको बता दें विश्व पर्यावरण दिवस के लिए प्रतिवर्ष एक खास मुद्दा या थीम होती है, जिसके अनुसार यह मनाया जाता है. साल 2019 का मुद्दा 'वायु प्रदूषण' था .वहीं, साल 2020 में 'जैव विविधता' यानि “Biodiversity”को इसकी विषय्वस्तु बनाया गया जिसका नारा था “Time for Nature , 2021 में 'पारिस्थिकी तंत्र का संरक्षण' (Ecosystem Restoration.) थीम था वहीं वर्ष 2022 में 'सिर्फ एक पृथ्वी' यानि Only One Earth” थीम थी और इस साल "Solutions to Plastic Pollution" थीम है ( प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान ) .इस वर्ष का नारा है "Beat PlasticPollution,"
सर्वप्रथम ्वर्ष 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया । यह दिन मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन की शुरुआत में अस्तित्व में आया। सम्मेलन ने पर्यावरणीय मुद्दों को दर्शाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों की शुरुआत का संकेत दिया।
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