नई दिल्ली, 23 अगस्त, (वीएनआई) सुप्रीम कोर्ट संसद के मानसून सत्र में पास हुए मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण कानून में त्वरित तीन तलाक को दंडात्मक अपराध बनाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए राजी हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दायर तीन याचिकाओं को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से भी याचिका में कहा गया है कि नए कानून में त्वरित तीन तलाक को गैर जमानती और एक दंडात्मक अपराध बनाया है। इसके तहत तीन साल की जेल हो सकती है जबकि देश में किसी दूसेरे समुदाय में इसे क्रिमिनल नहीं बल्कि दीवानी का मामला माना जाता है। ऐसे में कानून के तहत तीन साल की सजा का प्रावधान पूरी तरह से गलत है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार करे। गौरतलब है तीन तलाक को लेकर बीते महीने जुलाई में संसद के दोनों सदनों ने बिल पास किया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 1 अगस्त को तीन-तलाक विधेयक को मंजूरी दे दी
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