नई दिल्ली, 31 जनवरी, (वीएनआई) सर्वोच्च न्यायलय ने हाल के दिनों में जिस तरह से न्यायलय के फैसलों के बाद जजों और कोर्ट पर टिप्पणी पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि सरकार के पक्ष में कुछ फैसलों पर वकीलों के एक समूह ने राजनीतिक रंग देने की कोशिश थी, यह एक गंभीर अवमानना है।
सर्वोच्च न्यायलय ने कहा कि कोर्ट की एक अहम जिम्मेदारी यह भी है कि उसे संस्थान की गरिमा को बनाए रखना है। जज मीडिया में जाकर अपना पक्ष नहीं रख सकते हैं। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस विनीत शरण की बेंच के फैसले के बाद वकीलों के एक समूह ने जजों को आड़े हाथ लेते हुए उन्हें सस्ती लोकप्रियता हासिल करने वाला बताया था।
गौरतलब है वकीलों ने कहा था कि जज सोचते हैं कि वह बार काउंसिल से भी उपर हैं। वहीं अपने एक फैसले में बेंच ने कहा था कि बार के सदस्य मीडिया में जाकर जजों पर व्यक्तिगत हमले करते हैं और ऐसा करना उनके लिए आम बात हो गई है, ऐसा करने से न्यायपालिका पर लोगों का विश्वास कम होता है, इस वजह से न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचती है।
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