कोपेनहेगन 2 जून(अनुपमाजैन/वीएनआई))डेनमार्क के शाही घराने के सभी आठ नाती पोतो मे से अब सिर्फ एक को ही सरकारी खजाने से वेतन मिलेगा. नयी व्यवस्था के अनुसार अब शाही गद्दी के उत्तराधिकारी प्रिंस फ्रेडरिक के बेटे प्रिंस क्रिश्चियन को ही सरकारी खजाने से वेतन मिलेगा. वर्ष 1849 से डेनमार्क शाही घराने के सभी सदस्यो/शाही घराने की विधवाओ को वेतन दिये जाने का नियम लागू था. डेनमार्क का राजघराना हालांकि ब्रिटिश राजघराने की ही तरह लोकप्रिय है लेकिन सभी सदस्यो को इस तरह वेतन दिये जाने के बारे मे जनता के बीच भी धीरे धीरे सवाल खडे हो रहे है, और देश के राजनैतिक दल् भी इसे एक मुद्दा बना रहे थे. उनक तर्क था कि एक दिन/न जाने कितने शाही सदस्य हो जायेंगे और न/न जाने कितनो को सरकारी खजाने से वेतन देना पड़ेगा.
इसी सो्च और नये राजनैतिक मिजाज को समझते हुए अब शाही धराने ने अपने एक ही पोते को वेतन दिये जाने की घोषणा संबंधे एक बयान अपनी पहल पर जारी कर दिया है. वैसे आम तौर पर राजघराना बयान जारी नही करता है.बयान मे कहा गया है कि अब से शाही गद्दी के सीधे वरिसो को ही कर दाताओ के धन से पेंशन मिलेगी. इस का अर्थ है कि अब शाही गद्दी के उत्तराधिकारी प्रिंस फ्रेडरिक के बेटे प्रिंस क्रिश्चियन को ही सरकारी खजाने से वेतन मिलेगा.महारानी मार्ग्रेट और उनके पति प्रंस फिलिप के आठ नाती पोते है.सत्तारूढ वेन्त्रे पार्टी के प्रवक्ता जेकब केनसन के अनुसार" दरसल यह सामान्यं अंकगणित से जुड़ा मसला है, कही न/न कही तो एक सीमा तय करनी होगी, अन्यथा एक समय ऐसा आयेगा जबकि शाही घराने मे हजआरो नाती पोते होंगे और उन्हे सरकारी खजाने से वेतन देना होगा.राजनैतिक पंडितो का मनना है कि यह बहुत अच्छा हुआ कि समय रहते राज घराने ने जनता का मूड भॉप लिया और यह कदम खुद उठा किया अन्यथा राजनैतिक दलो को मजबूरन खुद इस तरह का कोई कदम उठाना पड़ता.शाही घराने से जुड़े जनकारो का कहना है कि डेनिश राजघराने की खासियत है कि वह किसी राजनैतिक बहस से दूर ही रहना चाहते है , चाहे वह उनके वेतन और खर्चो पर अंकुश लगाने का मामला क्यो नहे हो. ्राज घराने के इस कदम को इसी सूझ बूझ का परिचायक माना जा रहा है.वी एन आई