गांधीनगर, 11 दिसंबर, (वीएनआई) गुजरात विधानसभा में 2002 में हुए दंगों पर नानावती-मेहता आयोग की फाइनल रिपोर्ट पेश कर दी गई है। जिसमे तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी को क्लीन चिट दी गई है।
गुजरात विधानसभा में आज दंगों की जांच कर रहे नानावती आयोग की अंतिम रिपोर्ट रखी गई। गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने सदन में रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि आयोग की रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मोदी पर लगे आरोप खारिज किए गए हैं। रिपोर्ट को तत्कालीन राज्य सरकार को सौंपे जाने के पांच साल बाद सदन के पटल पर रखा गया। नानावती-मेहता कमिशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगी जलाए जाने के बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा सुनियोजित नहीं थी। आयोग ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन गुजरात सरकार को अपनी रिपोर्ट में क्लीन चिट दी है।
आयोग ने अपनी 1,500 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में कहा, ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि राज्य के किसी मंत्री ने इन हमलों के लिए उकसाया या भड़काया। कुछ जगहों पर भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस अप्रभावी रही क्योंकि उनके पास पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मी नहीं थे या वे हथियारों से अच्छी तरह लैस नहीं थे। वहीं इस रिपोर्ट में 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में 59 कारसेवकों को जिंदा जलाए जाने के बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई थी।
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