नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (वीएनआई)| यात्रा एवं पर्यटन उद्योग ने साल 2016 में 2,54,00,000 नौकरियां पैदा की, जो देश के कुल रोजगार का 5.8 फीसदी है। इस क्षेत्र में 2.5 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने की क्षमता है, बशर्ते कि सरकार इस पर 0.9 फीसदी के बजटीय आवंटन को बढ़ाकर वित्त वर्ष 2018-19 में 0.15 फीसदी कर दे।
एसोचैम और यस बैंक द्वारा किए गए एक संयुक्त अध्ययन में विकासात्मक हस्तक्षेप का प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें पर्यटन अवसंरचना का विकास और पर्यटन थीम को विकसित करना शामिल है। एसोचैम के प्रवक्ता ने आज इस अध्ययन को जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रीय पर्यटन प्राधिकरण (एनटीए) के अविलंब गठन तथा इसे एक महत्वपूर्ण प्राधिकरण बनाने की जरूरत है। एनटीए कई गतिविधियों की नोडल एजेंसी बन सकती है, जिसमें निवेश प्रोत्साहन, विपणन, वृद्धि संकल्प, वास्तविक समय में पर्यटन के आंकड़े इकट्ठा करना और उसका प्रसार करना, विकास संबंधी योजनाएं बनाना तथा क्रियान्वयन समन्वय, राज्य समकक्षों को समर्थन प्रदान करना वगैरह शामिल है। बयान में कहा गया कि भारतीय पर्यटन उद्योग को अन्य किफायती वैश्विक गंतव्यों की तुलना में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए पर्यटन क्षेत्र के लिए जीएसटी का स्लैब कम रखना चाहिए। इसमें कहा गया कि भारत तेजी से मेडिकल और वेलनेस पर्यटन के क्षेत्र में एशिया का केंद्र बनता जा रहा है, क्योंकि यहां कम उपचार लागत पर बेहतर गुणवत्ता की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं।
भारत में प्रमुख शल्य चिकित्सा उपचार की कीमत विकसित देशों की तुलना में करीब 20 फीसदी तक कम है। पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) के माध्यम से चिकित्सा केंद्रों का निर्माण मेडिकल पर्यटन को बढ़ावा देगा। योग और आयुर्वेद जैसी देशी तरीकों का विपणन करके वेलनेस पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए। देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में पर्यटन का योगदान 2016 में 208.9 अरब डॉलर रहा, जो जीडीपी का 9.6 फीसदी है और अनुमान है कि 2017 में इसमें 6.7 फीसदी की बढ़ोतरी होगी और 2017 तक जीडीपी में इसका योगदान बढ़कर 10.0 फीसदी हो जाएगा। इसके अलावा 2016 में यात्रा और पर्यटन क्षेत्र में किया गया निवेश, कुल निवेश का 5.7 फीसदी है, जो 34 अरब डॉलर है। इसमें 2017 में 4.5 फीसदी की वृद्धि का संकेत है और अगले 10 सालों तक हर साल यह 5.7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगा। साल 2027 में यह बढ़कर 61.8 अरब डॉलर हो जाएगा, जो कुल निवेश का 5.7 फीसदी होगा।
भारत का पर्यटन और विदेशी आय सीधे तौर पर वायु सेवा समझौतों पर निर्भर करता है। भारत ने कई देशों के साथ द्विपक्षीय वायु सेवा समझौता किया है और उदारवादी वायु परिवहन नीति का पालन करता है। हालांकि उड़ान नीति परेशानी मुक्त हैं, लेकिन ऑपरेटरों को हवाईअड्डे की अवसंरचना, स्लॉट और डीजीसीए (नागरिक विमानन महानिदेशालय) और अन्य निकायों से उड़ान की अनुमति में देरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसका पर्यटन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। साल 2015 में कुल 80 लाख विदेशी पर्यटक भारत आए, जिसका सीएजीआर (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) साल 2007 से साल 2015 के बीच 6.0 फीसदी रहा। इकोनोमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट (ईआईयू) के अनुमान के मुताबिक, साल 2019 में विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़कर 1.2 करोड़ होगी, जिसका सीएजीआर 9.2 फीसदी होगा।
No comments found. Be a first comment here!