नई दिल्ली (वीएनआई) बढ़ती गर्मी में त्वचा, बाल और सेहत के साथ आंखों का स्वास्थ्य भी बेहद आवश्यक है। खास तौर पर धूप से निकलने वाली अल्ट्रा वॉयलेट रेज़ आंखों के लिए कितनी खतरनाक होती हैं? गर्मी के कारण आंखों में मेलानोमा या लायमोफोमा जैसी कई तरह की बीमारियों के होने का जोखिम बढ़ जाता है।आंखों में नमी बनी रहनी चाहिए। विशेषज्ञो के अनुसार डिहाइड्रेशन यानी कि शरीर में पानी की कमी की वजह से आपकी आंखों में लुब्रिकेशन की कमी आ सकती है, जिससे जीरोफ्थलमिया (सूखी आंखें) जैसी बीमारी होना संभव है।डिहाइड्रेशन से भी काले घेरे हो जाते हैं इसलिए दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पिएं। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से आपकी आंखों की गतिविधियां गर्मियों के प्रभाव को संतुलित कर विपरीत प्रभावों से बचाए रखती हैं।
अपनी त्वचा को तेज धूप के सम्पर्क में कम से कम आने दें। इसलिए आंखों को धूप से बचाने के लिए सन ग्लासेज का प्रयोग करें।यह ख़तरनाक अल्ट्रा वॉयलेट ‘ए’ और अल्ट्रा वायलेट ‘बी’ रेज़ को रोकता है। धूप के छिप जाने के बाद अगर आप छाया में खड़े हों, तब भी सनग्लासिज़ का उपयोग करें। हालांकि छाया में यूवी रेज़ कुछ डिग्री कम होती हैं , लेकिन सामने की इमारतों और सड़क पर चल रहे वाहनों से आने टकराकर वापस आने वाली यूवी रेज़ अपना बूरा प्रभाव आपकी आंखों पर डाल सकती हैं। इसके अलावा सिर पर हैट लगाकर भी आप इन रेज़ को आंखों में आने से रोक सकते हैं। धूप में निकलते समय चौड़े किनारे वाली टोपी या हैट पहनकर निकलें, यह बचाव की एक अतिरिक्त परत का काम करती है। आईएएनएस के इनपुट के साथ में आंखों का स्वास्थ्य