भिलाई (छत्तीसगढ़), 30 अप्रैल (संदीप पौराणिक )। पक्के इरादों के आगे समस्या कोई मायने नहीं रखती, इसे छत्तीसगढ़ के भिलाई नगर में चल रहे स्वच्छता जागरूकता अभियान को देखकर समझा जा सकता है, क्योंकि यहां 42 डिग्री तापमान होने के बावजूद लोग पसीना बहाते हुए हाथ में झाड़ू थामे वार्डो की सफाई के काम में लगे नजर आते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देश के अन्य हिस्सों की तरह भिलाई नगर निगम क्षेत्र में 28 अगस्त, 2016 को स्वच्छता जागरूकता अभियान की शुरुआत हुई थी। इस अभियान का जिम्मा संभाले हुए हैं राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय।
आलम यह है कि लगभग सुबह आठ से लेकर 12 बजे तक जन सहयोग से अलग-अलग वार्ड में सफाई अभियान चलता है। इसमें नगर निगम के अमले की भी भागीदारी होती है। इस अभियान को चलते हुए 30 सप्ताह हो गए हैं।
इस अभियान में लोगों को बताया जाता है कि गंदगी बीमारी की जड़ है और अगर स्वस्थ्य रहना है तो साफ-सफाई पर ध्यान दें। घरों के आसपास और नालियों में कचरा जमा न होंने दे।
मंत्री पांडेय ने बताया कि इस अभियान के दौरान स्थानीय लोग अपनी समस्याएं भी बताते हैं और उनका मौके पर मौजूद अफसरों के जरिए निराकरण कराया जाता है।
स्वच्छता अभियान की खूबियों की चर्चा करते हुए पांडेय कहते हैं कि इस अभियान के जरिए चौक-चौराहे, गलियां तो साफ हो ही रही हैं, साथ ही वार्ड, रेलवे स्टेशन और सार्वजनिक शौचालयों को भी साफ करने मंे लगे हुए हैं। इस अभियान में लगभग हर वर्ग और हर उम्र का व्यक्ति अपनी भूमिका निभा रहा है।
पांडेय ने आईएएनएस से कहा, "यह बात सही है कि कोई भी काम शुरू किया जाए तो लोग आसानी से नहीं जुड़ते, स्वच्छता अभियान में भी कुछ ऐसा ही हुआ, मगर 30 सप्ताह यानी छह माह बाद स्थिति बदली है, लोग खुद ब खुद इस अभियान में शामिल होने लगे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "इस अभियान का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है कि लेागों ने यहां-वहां कचरा फेंकने की बजाय कचराघर में कचरा फेंकना शुरू कर दिया है, लोगों को लगता है कि रास्ते में कचरा फेंकते किसी ने देख लिया तो उपहास उड़ेगा।"
इस अभियान के दौरान सड़कों के किनारे गंदगी फैलाने वाले, गार्डन में बैठकर पार्टी करने वाले, शादी, जन्मदिन या अन्य उत्सव के दौरान कचरा फैलने वाले को सलाह भी दी जाती है कि पार्टी होने के बाद कचरे को एक जगह एकत्र कर उसे डस्टबिन में डाल दें। कचरे को जहां-तहां न फैलाएं। इससे बीमारी फैलती है और उस बीमारी का शिकार अपने को ही होना पड़ता है।
पांडेय कहते हैं कि शुरुआत में स्वच्छता अभियान को लोगों ने एक राजनीतिक अभियान समझा था, कई जगह रस्म अदायगी भी हुई, धीरे-धीरे लोगों को इस अभियान का महत्व समझ में आया और वे भागीदार बनने लगे।
उन्होंने कहा कि भिलाई में यह अभियान सामाजिक आंदोलन का रूप ले रहा है। युवा, महिलाएं इस अभियान का अहम हिस्सा हैं। अभी तो सिर्फ 30 सप्ताह हुए हैं, इसे और आगे बढ़ाने का विचार है। --आईएएनएस