नई दिल्ली, 20 सितम्बर (वीएनआई)| केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उपायों के एक पैकेज का आज संकेत दिया, जबकि उन्होंने ईंधन की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों पर किसी तरह की कर कटौती से इनकार किया।
जेटली ने कहा, हमने सभी उपलब्ध आर्थिक संकेतों को संज्ञान में लिया है। यह सुधार एजेंडे पर एक सक्रिय सरकार रही है। बीते दो दिनों से मैंने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों और कई सचिवों से चर्चा की है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जेटली ने संवाददाताओं से कहा, "सरकार प्रधानमंत्री से सलाह के बाद आने वाले दिनों में अतिरिक्त उपाय करेगी। जब भी यह कदम उठाए जाएंगे आपको बताया जाएगा। वित्तमंत्री ने मंगलवार शाम आर्थिक स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी। इसमें आर्थिक मंदी के बीच एक संभावित प्रोत्साहन पैकेज सहित उपायों पर चर्चा की गई। इस बैठक में रेल मंत्री पीयूष गोयल, वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम व वित्त मंत्रालय के सचिवों -अशोक लवासा, सुभाष चंद्र गर्ग, हसमुख अधिया, राजीव कुमार व नीरज कुमार गुप्ता ने भाग लिया था। पहले यह समीक्षा बैठक प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होनी थी। परिवहन ईंधनों की मौजूदा ऊंची कीमतों पर जेटली ने कहा कि यह वैश्विक कीमतों में अस्थायी वृद्धि है, और अमेरिकी तट पर आए तूफान की वजह से आपूर्ति व मांग में असंतुलन के कारण है।
पेट्रोलियम उत्पादों के कर में कटौती की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार को विकास व सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक खर्च के लिए धन की जरूरत है। उन्होंने कहा, "राज्य बहुत ज्यादा कर ले रहे हैं.. इसके पहले पाक्षिक मूल्य निर्धारण व्यवस्था के दौरान जब हमने ईंधन कीमतें कम की थी तो दिल्ली, हरियाणा जैसे राज्यों ने तत्काल वैट बढ़ाकर ज्यादा पैसा कमाया। कांग्रेस व वाम शासित राज्यों को उपकरों को कम करने का कदम उठाना चाहिए। मूल्य वृद्धि पर विपक्ष का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि मुद्रास्फीति के दोहरे अंकों में होने के दौरान चुप रहने वाली पार्टियां, आज जब यह 3.3 फीसदी है, तो चिल्ला रही हैं। उन्होंने कहा, "मानसून के दौरान सब्जियों की कीमतें बढ़ना एक सामान्य बात है और अभी भी मुद्रास्फीति 3.36 फीसदी है। व्यापारियों को जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में तकनीकी गड़बड़ियों से हो रही परेशानी पर जेटली ने इसे अंतिम तिथि पर जल्दबाजी को जिम्मेदार ठहराया।उन्होंने कहा, "जीएसटी की बहुत सी समस्याएं करदाताओं द्वारा खुद पैदा की गई हैं। उदाहरण के तौर पर आज (बुधवार) रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि है, लेकिन पिछली रात तक सिर्फ 25 फीसदी ने अपने करों का भुगतान किया था। उन्होंने कहा, "इसलिए यदि 75 फीसदी लोग आखिरी तारीख का इंतजार करेंगे तो प्रणाली में गड़बड़ी होनी ही है.. इसकी सीमा प्रति घंटे एक लाख है या पूरे दिन में 24 लाख है। पिछली रात तक कोई समस्या नहीं थी।"
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