आ्चार्य श्री ज्ञान सागर जी, एक अप्रतिम दिव्यात्मा

By Shobhna Jain | Posted on 21st May 2023 | देश
altimg

नई दिल्ली, 21 मई (अनुपमाजैन/वीएनआई) आ्चार्य श्री ज्ञान सागर जी ना केवल एक विरलें  तपस्वी दार्शनिक संत थे बल्कि  एक लब्ध प्रतिष्ठित लेखक थे जिन की कालजयी रचनायें आज के समाज को भी दिशा दे रही हैं, साथ ही श्री विद्यासागर जी  जैसें वर्तमान युग के सर्वाधिक लब्ध  प्रतिष्ठित मुनि  उन के शिष्य रहे हैं.आचार्य श्री के जीवन काल की तरह ही उन की  सल्लेखना भी एक दिव्य घटना थी.शरीर  के धीरे-धीरे क्षीण हो ने पर उन्होने अपने  ही  योग्य शिष्य विद्द्यासागर जी महाराज को आचार्य पद  सौंप कर  उन्हीं से समाधि  मरण  दीक्षा ग्रहण की. आचार्य श्री विद्या सागर जी  का घोर तपस्वी  जीवन और अहिंसा और करूणा के  जैन दर्शन  के संदेश को जन जन तक पहुंचानें में बहुत योग दान हैं।

'जयोदय महाकाव्य' बालब्रह्मचारी महाकवि पंडित भूरामल जी की यशस्वी लेखनी से प्रसूत हुआ है, जो आगे चलकर जैन मुनि अवस्था में आचार्य ज्ञानसागर जी के नाम से प्रसिद्ध हुए  श्री भूरामल जी एक ऐसे कवि हैं जिन्होंने निरन्तर आत्म साधना की ओर अग्रसर रहते हुए एक नहीं अनेक महाकाव्यों का सृजन किया है. ऐसा प्रतीत होता है कि आत्मसाधक योगी के लिए काव्य आत्मसाधना का अंग बन गया और  एक तपस्वी संतके साथ साथ उन का सम्पूर्ण जीवन काव्यमय हो गया. एक मुनि श्री के अगाध ज्ञान एवं प्रखर तप से प्रभावित अनेक आत्मार्थियों ने उनका शिष्यत्व प्राप्त किया उनके प्रमुख शिष्य  रहे हैंआचार्य श्री विद्यासागरजी, आचार्य कल्प श्री विवेकसागर जी, मुनि श्री विजयसागर जी, ऐलक श्री सन्मतिसागर जी, क्षुल्लक श्री आदिसागर जी, क्षुल्लक श्री स्वरूपानंद जी, क्षुल्लक श्री सुखसागर जी  एवम क्षुल्लक श्री संभवसागरजी महाराज अपने गुरू के दर्शन से जैन दर्शन  के अहिंसा और करूणा के संदेश को जन जन तक पहुंचानें में लगे है। 

इनमें आचार्य श्री विद्यासागर जी वर्तमान युग के सर्वाधिक प्रतिष्ठित मुनि आचार्य हैं आपने अपने गुरु के ही सदृश्य 'मूक माटी' महाकाव्य, नर्मदा का नरम कंकर , तोता क्यों रोता ? डूबो मत / लगाओ डुबकी, श्रमण शतक, भावना शतक, निरंजन शतक, परीषहजय शतक, सुनीति शतक,आदि अनेक संस्कृत एवं हिन्दी शतकों तथा विभिन्न साहित्य का सृजन किया है एवं  घोर तपस्वी जीवन जीते हुये वर्तमान मे भी उसी  साहित्य साधना में रत हैं। 
 जैसा कि पहलें लिखा जा चुका हैं कि २४ अगस्त  १८९७ को जन्में आचार्य श्री की सल्लेखना भी एक दिव्य घटना थी.शरीर  के धीरे-धीरे क्षीण हो ने पर उन्होने अपने शिष्य विद्द्यासागर जी महाराज को आचार्य पद छोड़कर  उन्हींसे  समाधि  मरण दीक्षा ग्रहण की. अपने गुरू आचार्य श्री के इन शब्दों की सहजता, सरलता तथा उनके असीमित मार्दव गुण से मुनि श्री विद्यासागर जी द्रवित हो उठे, तब आचार्य श्री ने उन्हें अपने कर्तव्य, गुरु-सेवा, भक्ति और आगम की आज्ञा का स्मरण कराकर सुस्थिर किया । उच्चासान का त्याग कर उसपर मुनि श्री विद्यासागर जी को विराजित किया। शास्त्रोत विधि से आचार्यपद प्रदान करने की प्रक्रिया सम्पन्न की औरर स्वयं नीचे के आसन पर बैठ गये। उनकी मोह एवं मान मर्दन की अद्भुत पराकाष्ठा चरम सीमा पर पहुँच गयी और फिर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जो कभी उन के शिष्य रहे, उन्हीं को सौंपें आचार्य  पद पर विराजित आचार्य के रूप में उन से सल्लेखना ग्रहण की.एक जून 1973 का दिन, समाधिमरण का पाठ चल रहा था, चारों ओर परम शांति थी , "ऊँ नमः सिद्धेभ्यः'  का उच्चारण  से जब पूरें माहौल में एक दिव्य शांति  व्याप्त थीउसी समय आत्मलीन मुनि श्री जी ने समता भाव  से प्रात: 10 बजकर 50 मिनिट पर पार्थिव देह का परित्याग कर दिया। 
 महाकवि आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने संस्कृत एवं हिन्दी भाषा में अनेक ग्रंथों का सृजन कर ना केवल इन भाषाओं के साहित्य भण्डार को समृद्ध किया  बल्कि इन रचनाओं के जरियें समाज को दिशा दी, मार्ग दर्शन किया.  प्राप्त जानकारी के अनुसार संस्कृत साहित्य  मे उन की कालजयी कृतियॉ जयोदय, वीरोदय, सुदर्शनोदय, भद्रोदय दयोदय चम्पू सम्यक्त्वसार शतक संस्कृत शांतिनाथ विधान जैसी कितनी सी रचनायें हैं तो हिन्दी साहित्य में महाकाव्य  ऋषाभवतार, गुणसुन्दर, वृतान्तभाग्योदय, तो गद्द्य मे कर्तव्यपथ प्रदर्शन मानव धर्म  सचित्त विवेचन सचित्त विचार, स्वामी कुंदकुंद और सनातन धर्म  इतिहास के पन्ने और टीका ग्रंथों में तत्वार्थदीपिका (तत्वार्थसूत्र पर) देवागम स्तोत्र का पद्यानुवाद नियमसार का पद्यानुवाद अष्टपाहुड़ का पद्यानुवाद समयसार तात्पर्यवृत्ति का हिन्दी अनुवाद जैसी कालजयी कृ्तियॉ समाज का मार्ग दर्शन करती है। 
ऐसी अप्रतिम दिव्यात्मा के 51 वें समाधि दिवस पर शत शत नमन (शोभना जैन द्वारा संपादित वीएन आई)


Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Thought of the Day:
Posted on 22nd Dec 2024

Connect with Social

प्रचलित खबरें

आज का दिन :
Posted on 24th Feb 2019
© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india