नई दिल्ली, 14 अक्टूबर, (वीएनआई) क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) और छात्रों ने उच्च शिक्षा को विश्व व्यापार संगठन के हवाले करने के खिलाफ बीते मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट फैकल्टी पर विरोध प्रदर्शन किया|
केवाईएस के कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी किये गए सुरक्षा के लिए गाइडलाइन्स पर अपनी चिंता जतायी| डूटा अध्यक्ष नंदिता नारायण ने भी छात्रों के बीच अपनी बात रखी|
केवाईएस ने आगे बताया कि भारत सरकार ने वाणिज्यिक उपक्रम के रूप में भारत में कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य तकनीकी या व्यावसायिक संस्थानों की स्थापना के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 160 सदस्य राष्ट्रों यानी दुनिया भर के शैक्षिक व्यापारियों को अनुमति देने के लिए अपनी तत्परता व्यक्त की है। इससे न सिर्फ बेलगाम निजीकरण और व्यावसायीकरण बढ़ेगी बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदाय उच्च शिक्षा से हमेशा के लिए दूर हो जायेंगे| हमारे शिक्षण संस्थानों में शैक्षणिक स्वायत्तता, स्वतंत्र अनुसंधान और लोकतांत्रिकता ख़त्म हो जाएगी|
केवाईएस संगठन के अनुसार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) द्वारा जारी किये गए सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश छात्र आन्दोलन के लिए काफी चिंतित करने वाले विषय है| दिशा-निर्देश जिसमे कॉलेज प्रांगन में पुलिस थाना, शिक्षक-अभिभावक मीटिंग, छात्रों के बायोमेट्रिक उपस्थिति की बात की गयी है अत्यंत भर्त्सनीय है| ध्यान देने योग्य बात है कि छात्र किसी भी आन्दोलन के महत्वपूर्ण अंग होते हैं और बीजेपी सरकार यूजीसी के द्वारा छात्रों को सोचने, संगठित होने और विरोध करने के अधिकारों से महरूम करना चाहती है| एक ऐसे समय में जब छात्र समुदाय अधिक कॉलेजों के लिए, अधिक रोजगारों के लिए, जनतांत्रिक रूप से चयनित यौन उत्पीड़न के खिलाफ समिति के लिए संघर्ष कर रहे हैं उसी समय यूजीसी ने इन मांगों पर अपनी चुप्पी बनाए रखी है और छात्र समुदाय पर अपना एजेंडा थोपने की कोशिश कर रही है|