काठमांडू,११ मई (वी एन आई) नेपाल स्थित महात्मा गौतम बुद्ध का जन्म स्थान लुम्बनी, वायु प्रदुषण के कारण इस समय गंभीर स्थिति में !!!
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हाल में ही एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन ने नेपाल के अनुमानित 5 प्रदूषित शहरों के आंकड़े एकत्र किये और इनमें लुम्बनी न सिर्फ सबसे ज्यादा प्रदूषित है बल्कि यहां प्रदुषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच चूका है।
खबरो के अनुसार इस पवित्र शहर के पास बढ़ते जा रहे औद्यौगीकरण को लेकर भी चेतावनी जारी की जा चुकी है। जनवरी के महीने में, दक्षिण-पश्चिम नेपाल के लुंबिनी में पीएम 2.5 (बारीक़ कणिक पदार्थ), 173.035 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर मापा गया था। यह प्रदुषण की सामान्य से कहीं अधिक मात्रा है।
पडोसी शहर चितवन में यह स्तर 113.32 जबकि राजधानी काठमांडू में यह 109.82 था, जिसे प्रदुषण का उच्च स्तर माना जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के द्वारा जारी की गयी प्रदुषण के लिए सुरक्षित सीमा 25 मिलीग्राम प्रति घन मीटर है जबकि नेपाल सरकार ने राष्ट्रिय मानक 40 तय कर रखा है - दोनों में से किसी से भी तुलना कर लें तो आंकड़े अपने आप बता देते हैं कि गौतम बुद्ध ने जिस शहर में सबसे पहली बार सांस ली थी, वह अब वास्तव में सांस लेने लायक नहीं रह गया है।
वैज्ञानिक अध्यनों में ऐतहासिक स्थल के साथ इसके आसपास के क्षेत्रों में भी प्रदूषण के बढ़ते स्तर की बात सामने आयी है।
रिपोर्टो के अनुसार 2.5 पीएम स्तर के बारीक़ कण, जो मनुष्य के शरीर की रक्त वाहिकाओं में प्रवेश कर सकते हैं, डब्ल्यूएचओ की सुरक्षित सीमा से 10 गुना अधिक थे। आईयूसीएन और यूनेस्को द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि इस बढे हुए प्रदुषण ने विश्व की ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल लुम्बनी को खतरा पहुंचना शुरू कर दिया है। इंसान तो क्या इस ऐतिहासिक स्थल का पवित्र बगीचा और 249 ईसा पूर्व बने हुए अशोक स्तम्भ भी प्रदूषण की चपेट में आ गए हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह हाल तब है जब एक सरकारी संस्था ने उत्तर, पूर्व और पश्चिम से 15 किलोमीटर की एरियल डिस्टेंस तक इस ऐतिहासिक स्थल को संरक्षित घोषित कर रखा है।
क्षेत्र के स्वास्थ्य कर्मचारियों के अनुसार भी यहां स्थिति लगातार खराब होती जा रही है और जल्द ही कुछ कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
नेपाल के पर्यावरण विभाग में वायु प्रदुषण की माप करने वाले विभाग के भविष्य में एक ड्रोन का उपयोग करके प्रदूषण के स्रोतों का पता लगाने की योजना बना रहे हैं और उम्मीद कर रहे है कि इससे समस्या को हल करने में मदद मिलेगी।"