नई दिल्ली, 21 मार्च (वीएनआई)| अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय ने आज कहा कि मामले को न्यायिक तरीके से सुलझाने के बजाय इस मसले का शांतिपूर्ण समाधान निकालना बेहतर है।
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर, न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की सदस्यता वाली पीठ ने यह बात भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की इस अपील की कि शीर्ष अदालत इस मामले में 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के लिए एक अलग पीठ गठित करे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया था कि विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच अयोध्या भूमि का बंटवारा कर दिया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति केहर ने यह कहते हुए कि दोनों पक्षों के बीच समझौता सबसे बेहतर होगा, मामले में मध्यस्थ की भूमिका अदा करने का प्रस्ताव भी रखा। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि वह न्यायिक पहलू से मामले की सुनवाई नहीं करेंगे। न्यायमूर्ति कौल की ओर इशारा करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह भी मामले में मध्यस्थता कर सकते हैं। न्यायमूर्ति केहर ने भाजपा नेता स्वामी से कहा, आप किसी को भी चुन सकते हैं। अगर आप चाहते हैं कि मैं मध्यस्थता करूं तो मैं मामले की (न्यायिक पहलू से) सुनवाई नहीं करूंगा। या अगर आप चाहें तो मेरे भाई (न्यायमूर्ति कौल) को चुन सकते हैं। विवाद हैं। आप सभी साथ बैठकर फैसला करें।