बीकानेर,7 जनवरी (साधना अग्रवाल /वी एन आई) सर्दियों में घेवर की मिठाई!!! जी उत्तर भारत में सामान्यत सावन में बनाने वाली घेवर की मिठाई बीकानेर तथा आस पास के क्षेत्रो में ख़ास तौर पर सर्दियों में ही बनाई जाती है .
इन दिनों इस शहर के विभिन्न गली-मौहल्लों, यहाँ मिठाई की दुकाने तरह तरह के स्वादिष्ट घेवर की मिठाई की खुशबू से महकने लगे है . दुकानो पर घेवर सजाने लगे है , घेवर की बिक्री शुरू हो गयी है, शहर की मशहूर भीकाराम चांद मल, छप्पनभोग, लालजी जैसी मशहूर मिठाई की मशहूर दुकानो सहित शहर में जगह जगह घेवर की अस्थाई दुकाने लग गयी है. ये मिठाई ख़ास तौर पर 'मल मास' यानी १४ दिसंबर से मिलनी शुरू होती है और मकर संक्रांति तक मिलाती है.. ख़ास बात यह है की मकर संक्रांति से अगले रोज से यह मिठाई बनानी और बिकनी बंद हो जाती है. घेवर की तरह की किस्मे, मलाई घेवर, मावा घेवर, पनीर घेवर, केसरमिश्रित घेवर, आम तौर पर थाली की आकार में मिलाने वाले घेवर के साथ साथ कटोरी के आकारके घेवर यहाँ आपको खूब मिल जाएंगे . इस मौसम मेबिकने वाले घेवर को यहाँ ख़ास तौर पर रिश्तेदारो, परिचितों कोभेजेजाने की परंपरा है यानी मिल बांट कर खाने की भारतीय परंपरा जैसे -जैसे मकर संक्रांति नजदीक आ रही है घेवरों की बिक्री में भी तेजी आ रही है. लेकिन आप सिर्फ बाजार का ही घेवर क्यों खाये और सिर्फ सर्दियों में ही घेवर क्यों खाए, आइये आपको बताते है घेवर बनाने की विधि
सामग्री -
मैदा ----1 कप
ठंडा दूध ----1/2 कप
ठंडा पानी- ज़रुरत के अनुसार
घी ----घेवर तलने के लिये
बर्फ के कुछ टुकड़े
घेवर बनाने से पहले चाशनी बना कर रख दे -चाशनी के लिये सामग्री
चीनी ------ 1-1/2 कप
पानी ------ या 1 कप
चाशनी बनाने की विधि
इसके लिये 2 तार की चाशनी बनानी है ! अब किसी बर्तन में चीनी और पानी डाल कर गैस पर चाशनी बनने के लिये रखिये और उबाल आने के बाद 5-6 मिनिट तक पकाइये ! जब ये पक जाये तो इसको चम्मच से लेकर एक बूंद किसी प्लेट में गिराइये और ठंडा होने पर अपने अंगूठे और उंगली के बीच चिपका कर देखिये तो चाशनी उनके बीच चिपकनी चाहिये और चाशनी में 2 तार बनने चाहिये अगर ऐसा नही होता है तो फिर उसको थोड़ी देर पकाइये और उंगली पर चिपका कर देखे की चाशनी में 2 तार बन रहे है या नहीं ! चाशनी तैयार है.
घेवर बनाने की विधि-
किसी बर्तन में मैदा छान ले और उसको अलग रख दे . अब किसी बड़े बर्तन में घी और बर्फ जैसा ठंडा दूध ,बर्फ के कुछ टुकड़ो को मिला कर खूब फैटिये और उसके बाद मैदा डालकर अच्छी तरह मिलाइये और फैटिये.
उसके बाद थोडा - थोडा बर्फीला ठंडा पानी डालते रहे और घोल को खूब फैटते रहे जिस से घोल एकदम एक सा हो जाय और उसमे कोई गुठली न रहे ! फिर उसमे थोड़ा सा केसर मिला ले ! घोल इतना पतला होना चाहिए की चमचे से घोल गिराने पर पतली धार से गिरे, लेकिन ध्यान रखे की वह इतना पतला हो कि चम्मच में लेकर गिराने से पतली धार बनकर गिरना चाहिए।
घोल तैयार होने पर एक पतला लेकिन मोटे तले का गहरा भगोना लें और उसमें लगभग आधा भगोना घी भरकर गर्म करें। घी गर्म होने पर बड़े चम्मच में मैदे का घोल लेकर भगोने में गोलाई से गिराएं। घोल इतना गिराएं कि भगोने में गोलाई में एक परत जैसी बन जाए। मैदे का यह मिश्रण घी के ऊपर तैरने लगेगा। अगर मैदा बीच में जमा हो रहा हो, तो उसे चाकू या किसी अन्य नुकीली चीज से किनारे की ओर कर दें और मिश्रण के बीच में एक बड़ा सा छेद कर दें।
लगभग दो मिनट बाद फिर से मैदे का घाेल गोलाई से भगाेने में डालें और एक के ऊपर एक करके दो या तीन (जितनी मोटाई आप चाहें) बना लें। जब घेवर की पर्त भगोने में मनचाहे साइज की बन जाए, तो उसपर मैदे का घोल न डालें और उसे सुनहरा होने तक सेंक लें। सुनहरा होने पर घेवर के बने छेद में चाकू या सींक डाल कर निकला लें और उसे किसी बर्तन के ऊपर लटका कर रख दें, जिससे उसका अतिरिक्त घी निचुड कर निकल जाए।
सारे घेवर सिंक जाने के बाद उन्हें किसी चौड़े बर्तन में रखें और ऊपर से चाशनी डाल दें। पंद्रह मिनट तक चाशनी में भीगने के बाद घेवर को चाशनी से निकाल लें और उसे किसी स्टील की रॉड या कलछुल में पहना कर किसी बर्तन के ऊपर रख दें, जिससे उसमें लगी हुई अतिरिक्त चाशनी निकल जाए।
अब आपके घेवर तैयार हैं। इन्हे आप ऊपर से कटे हुए बादाम, पिस्ता छिड़क कर परोस सकती है या इनके ऊपर रबड़ी की एक पर्त लगाएं और ऊपर से कटे हुए बादाम, पिस्ता छिड़क कर परोस सकती है. वी एन आई