नई दिल्ली 09 जुलाई (वीएनआई) ग्रीस की चिंता और चीन में भारी बिकवाली के बाद अमेरिकी बाजारों में दबाव देखा गया।, डाओ जोंस और एसएंडपी 500 में 1.5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। तकनीकी खराबियों के चलते न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर करीब 4 घंटे के लिए ट्रेडिंग भी रुकी थी। अमेरिकी बाजारों में कल डाओ जोंस 261.49 अंक यानी 1.47 फीसदी की गिरावट के साथ 17,515 पर बंद हुआ। वहीं नैस्डेक कम्पोजिट इंडेक्स 87.70 अंक यानी 1.75 फीसदी की गिरावट के बाद 4,909 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 इंडेक्स में 34.66 अंक यानी 1.66 फीसदी की गिरावट के बाद 2,046 पर बंद मिला।
आज सुबह से एशियाई बाजारों से भी खराब संकेत आ रहे हैं। हैंगसेंग को छोड़कर सारे एशियाई बाजार लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं। जापान, कोरिया के बाजार लाल निशान में खुलने के बाद 1.5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट पर कारोबार कर रहे थे । एसजीएक्स निफ्टी 12 अंक यानी 0.14 फीसदी की गिरावट के साथ 8,353 पर कारोबार कर रहा था।
जापान का निक्केई 1.88 फीसदी की भारी गिरावट के बाद 19,372 पर बना हुआ है और स्ट्रेटेस टाइम्स में 0.88 फीसदी की कमजोरी के बाद 3,256 पर कारोबार चल रहा था। हैंगसेंग में 1.42 फीसदी की तेजी है और ये 23,855 पर बरकरार है। ताइवान में 1.19 फीसदी की तेज गिरावट देखी जा रही है और ये 8,870 पर है। कोरिया का कोस्पी 1.13 फीसदी टूटकर 1,993 पर कारोबार कर रहा है और
सुबह चीन का शंघाई कम्पोजिट 3.60 फीसदी की गिरावट के बाद 3,385 पर कारोबार कर रहा था, सरकार की तरफ उठाये गये कदमो के कारण अभी चीन ्के बाज़ार मे अस्थाई स्थिरता है, गौरतलब है कि महीने भर से चीन के बाजारों में लगातार आ रही गिरावट पर लगाम लगाने के लिए वहां पर सरकार ने ट्रेडिंग पर रोक लगा दी है। 12 जून से चीन के बाजारों में लगातार गिरावट देखी जा रही है और बाजारों में करीब 30 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। चीन में गिरावट की वजह से भारतीय जीडीपी के करीब डेढ़ गुना बराबर पूंजी साफ हो चुकी है। चीन की करीब 3 ट्रिलियन डॉलर की लिक्विडिटी खत्म हो चुकी है।
चीन के शेयर बाजारों में आई भारी गिरावट की वजह से बेस मेटल्स की कीमतों में भारी गिरावट की आशंका व्यक्त जा रही है। चीन दुनियाभर में बेस मेटल्स का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और वहां के बाजारों में गिरावट की वजह से बेस मेटल्स का बाजार पहले ही पिघल रहा है। गिरावट और बढ़ी तो बेस मेटल्स की कीमतों में और बिकवाली आ सकती है।
चीन में मंदी गहराने से भारत से एक्सपोर्ट होने वाली कई कमोडिटी का एक्सपोर्ट प्रभावित हो सकता है। चीन बड़ी मात्रा में भारत से कपास, ग्वारगम और मूंगफली का इंपोर्ट करता है।