नई दिल्ली, 28 नवंबर (वी एन आई)। सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की पैरोल अवधिअगले साल छह फरवरी तक बढ़ा दी गई है, जिसके लिए आज सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें छह फरवरी तक 600 करोड़ रुपये जमा करने को कहा है। सहारा समूह ने न्यायालय को अगले ढाई साल में 11,036 करोड़ रुपये वापस करने का एक खाका सौंपा है।
सहारा को 600 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश देते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई तथा न्यायमूर्ति ए.के.सीकरी की पीठ ने कहा कि तीन करोड़ से अधिक निवेशकों के 24,000 करोड़ रुपये लौटाने के लिए प्रति महीने 1,000 करोड़ रुपये जमा करने की शुरुआत करने के खाके को उन्होंने आखिर क्यों बदला।
सुब्रत रॉय के अलावा, उनके बहनोई अशोक रॉय चौधरी तथा सहारा के निदेशक रवि शंकर दूबे की भी पैरोल अवधि बढ़ा दी गई है।
सहारा समूह की दो कंपनियों -सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) तथा सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल)- ने साल 2008 तथा 2009 में लगभग 3.3 करोड़ निवेशकों से वैकल्पिक रूप से पूरी तरह परिवर्तनीय डिबेंचर के माध्यम से पैसों की उगाही की थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने 31 अगस्त, 2012 को दिए अपने फैसले में एसआईआरईसीएल तथा एसएचआईसीएल को 15 फीसदी ब्याज के साथ निवेशकों को 17,600 करोड़ रुपये लौटाने का निर्देश दिया था।
बाजार नियामक द्वारा निवेशकों के पैसे वापस करने के लिए सेबी सहारा रिफंड अकाउंट में पैसे जमा करने के खाके को देखते हुए न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, "अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो न्यायालय एक वसूलीकर्ता नियुक्त करने को लेकर गंभीरतापूर्वक विचार करेगा।"
न्यायालय से कहा गया कि अपनी मां का अंतिम संस्कार करने के लिए सहारा प्रमुख द्वारा छह मई को लिए गए पैरोल के बाद से लेकर अब तक वह 1,200 करोड़ रुपये जमा कर चुके हैं। रॉय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायालय से कहा कि वह बाजार नियामक के पास 11,000 करोड़ रुपये जमा कर चुके हैं और 11,036 करोड़ रुपये बकाया हैं।