नई दिल्ली, एक मार्च (शोभनाजैन,वीएनआई) अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक एवं प्रख्यात जैनाचार्य आचार्य लोकेश मुनि ने आत्म प्रबंधन को जीवन प्रबंधन और व्यापार प्रबंधन से कही ज्यादा आवशयक बताते हुए कहा है कि संतोष से बड़ा कोई सुख नहीं है और असंतोष से बड़ा कोई दुःख नहीं है |
गुजरती एसोसिएशन क्वाला लामपुर मलेशिया से भारत यात्रा पर आये एक शिष्ट मंडल को संबोधित करते हुए उन्होने यहा कहा कि सुख और शांति का सम्बन्ध पदार्थ और परिस्थिति से नहीं हमारी मन: स्थिति से है | धन से सुख के साधन तो ख़रीदे जा सकते है परन्तु सुख नहीं | संतोष से बड़ा कोई सुख नहीं है और असंतोष से बड़ा कोई दुःख नहीं है |
आचार्य लोकेश ने कहा कि वर्तमान समय में जीवन प्रबंधन और व्यापर प्रबंधन की बहुत चर्चा होती है किन्तु आत्म प्रबंधन को भुला दिया जाता है | उन्होंने कहा इन्टरनेट से तो जुडाव बढ़ रहा है परन्तु इनर नेट से व्यक्ति कटता जा रहा है | इंसान तन को तो दिन में दस बार संवारता है, पर मन को एक बार भी संवार नहीं पाता है। जब तक मन नहीं संबरेगा तब तक जीवन में पूर्ण निखार नहीं आ पाएगा। मन को सवारने के लिए ध्यान, जाप, स्वाध्याय सर्वश्रेष्ट मार्ग है | उन्होंने कहा कि दुनिया का सबसे सरल धर्म अगर कोई है तो वह है ध्यान । पूजा करने के लिए मंदिर जाना पड़ता है, तीर्थयात्रा करने के लिए व्यवस्था करनी पड़ती है, दान देने के लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं, पर ध्यान के लिए कुछ नहीं करना पड़ता है बस जहाँ बैठे हो वहीं खुद में उतरना पड़ता है । इस अवसर पर श्री विवेक मुनि जी ने अहिंसा विश्व भारती, अहिंसा वेलनेस सेंटर तथा विश्व अहिंसा संघ द्वारा संचालित कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी |
इस अवसर पर आयोजित स्वागत समारोह में अखिल भारतीय जैन कांफ्रेंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री सुभाष ओसवाल जैन एवं अहिंसा फौन्डेशन के अध्यक्ष श्री ऐ.के. जैन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए गुजरती एसोसिएशन क्वाला लामपुर मलेशिया के अध्यक्ष श्री भूपत राय, सचिव श्री दीपक जैन, उपाध्यक्ष श्री भास्कर जैन शाल व प्रतिक चिन्ह द्वारा सम्मान किया | इससे पूर्व शिष्ट मंडल ने भारत के प्रधामंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से भी भेंट की,वीएनआई