पालघर (महाराष्ट्र), 20 जनवरी महाराष्ट्र के विरार के पास अगाशे गांव का एक 80 सदस्यीय संयुक्त परिवार अचानक सुर्खियों में आ गया है। परिवार के हर सदस्य ने स्वेच्छा से अपने शरीर, अंगों और ऊतकों के दान का फैसला किया है।
इस ईसाई परिवार के मुखिया बपतिस्ता लोपेस (82) हैं। कभी किसानी करते थे। उन्हें स्वयंसेवी संस्था देशमुखी मिशन चलाने वाले बापूसाहेब पाटील-पवार चैरिटेबल ट्रस्ट के मुख्य न्यासी पुरषोत्तम पाटील-पवार की बातों से प्रेरणा मिली। देशमुखी मिशन नेत्रदान और शवदान के लिए जागरूकता फैलाने का काम कर रहा है।
बपतिस्ता और परिवार के चार अन्य सदस्य अपने पूरे शरीर के दान के बारे में लिख कर दे चुके हैं। बाकी 76 सदस्य शरीर के अंगों और ऊतकों को दान में देंगे।
बपतिस्ता के बेटे 60 वर्षीय एलविस लोपेस ने कहा, "परिवार के करीब 20 सदस्य या तो कहीं और रहते हैं या काम करते हैं। वे भी यहां आएंगे और अंगदान के संकल्प पत्र पर दस्तखत करेंगे।"
तटीय कोंकण क्षेत्र के अगाशे गांव में लोपेस परिवार अपनी तरह के अनूठे और बेहद कम पाए जाने वाले संयुक्त परिवार की मिसाल है, जिसमें 100 सदस्य एक साथ शांतिपूर्ण तरीके से एक ही जगह पर रह रहे हैं।
लोपेस ने कहा, "हमने शरीर और अंगदान के फायदों के बारे में पाटील-पवार की सहज और वैज्ञानिक व्याख्याओं को सुना। हम इससे प्रभावित हुए और तय किया कि हमें भी कुछ करना चाहिए। 10 जनवरी को जब मेरे परिवार के अधिकांश सदस्य मौजूद थे, तो लगभग सभी ने प्रेक्षागृह में सहमति में हाथ उठाए थे।"
पाटील-पवार ने कहा, "लोपेस परिवार ने उस मुद्दे पर मुझसे बात रखने को कहा जिसे लेकर हम जागरूकता फैला रहे हैं। यह 10 जनवरी की बात है। परिवार अपने पूर्व मुखिया बास्काओ दिन्या लोपेस की 25वीं पुण्यतिथि मना रहा था।"
पाटील-पवार की बात सुनने के बाद लोपेस परिवार के 60 सदस्यों ने अपने शरीर के अंगों और ऊतकों को दान देने के फार्म भरे। बपतिस्ता समेत चार ने समूचे शरीर को दान में देने का फार्म भरा।
अन्य परिजनों में बच्चे शामिल हैं। इनके बारे में परिवार ने तय किया कि बालिग होने पर ये भी फार्म पर दस्तखत करेंगे।
पाटील-पवार ने कहा कि खुद दान देने का संकल्प लेने वाला यह परिवार अब दूसरों को इसके बारे में बता रहा है और उनसे भी ऐसा करने की अपील कर रहा है।(आईएएनएस)।