रिश्ता जिंदगी से

By Shobhna Jain | Posted on 19th May 2020 | साहित्य
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कोई खासियत न हो कोई खूबी न हो आदमी के पास
पर बखूबी अपने आंसुओं को दुनिया से छुपाता है

लाख बेरुखी करे जिंदगी मगर
आदमी जिंदगी से रिश्ता खूब निभाता है

क्या क्या कर पायेगा मेहनतकश,उन चंद
सिक्कों से बमुश्किल जिन्हे वो कमाता है

बहुत ख़ामोशी से अपना काम करता है वक्त
न कुछ बोलता है न कुछ बताता है

रोज़ खाद पानी भी पाता है ,सूरज की रौशनी भी पाता है ,
पर जिंदगी का पौधा मुरझाये जाता है

देनदारी ही देनदारी लिखी है आदमी की किस्मत में
न जाने मुक्क्दर का कैसा बही खाता है.


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