वक्त के पिटारे से एक लम्हा निकला
कहीं जिन्दगी बन के पनप गया
कहीं मौत बन के थम गया
वक्त के पिटारे से एक लम्हा निकला …….
कहीं अश्कों का दरिया बन गया
कहीं खुशियों का गुलशन बन गया
वक्तके पिटारे से एक लम्हा निकला …….
किसी मुल्क की किस्मत में बन के तारीख दर्ज हो गया
किसी मुल्क का नाम तारीख से मिटा गया
वक्त के पिटारे से एक लम्हा निकला …….
कहीं सदियों पे भारी पड़ गया
कहीं मशाल बन के रोशन हो गया
कहीं बन के अँधियारा जिन्दगी पे छा गया
सुनील जैन
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