नई दिल्ली. 26 अक्टूबर, (सुनील कुमार/वीएनआई) साहिर लुधयानवी का जन्म 8 मार्च 1921 को लुधियाना में हुआ, निधन 25 अक्टूबर 1980 को मुंबई में हुआ. हर बड़े शायर की तरह ही साहिर की शायरी भी आम आदमी को नए नए मुहावरे दे गई.
साहिर, शैलेन्द्र और शकील अपने समय के फ़िल्मी गीतों की ऐसी त्रिमूर्ति थे जिन्होंने फ़िल्मी मुहावरे में उत्कृष्ठ साहित्य की रचना की. साहिर संगीतकार से एक रूपया अधिक पारिश्रमिक लेते थे और इस बात को लेकर वह बेहद जिद्दी थे. साहिर ने ही ऑल इण्डिया रेडियो में गीतकार का नाम शामिल करने की परंपरा शुरू करवाई.
जुहू इलाक़े के जिस क़ब्रिस्तान में साहिर को दफ़न किया गया था वहीं मुहम्मद रफ़ी, मधुबाला, नौशाद, तलत महमूद, नसीम बानो, ख़्वाज़ा अहमद अब्बास, जान निसार अख़्तर और सरदार जाफ़री जैसी हस्तियां भी दफ़नाई गई थीं.
कौन भूल सकता है साहिर की लिखी ये पंक्तियाँ " मैं पल दो पल का शायर हूँ.....","चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ ..." ”इक शहंशाह ने दौलत का सहारा लेकर / हम ग़रीबों की मुहब्बत का उड़ाया है मज़ाक”!
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन ,उसे इक खूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा। ........ ,ये थे साहिर
No comments found. Be a first comment here!