नई दिल्ली 23 मई (वीएनआई) कोलकाता के महज 12 साल के एक मासूम उमंग गलाड़ा ने ज़िंदगी से जैसे एक अनोखा रिश्ता बना लिया था। इतनी छोटी उम्र मे उसने मौत को गले लगाकर भी कई लोगों को नई जिंदगी दे दी वो किडनी ट्रान्सप्लांट के लिए एक साल से इंतजार कर रहा था पर मंगलवार, 20 मई को दिल का दौरा पड़ने के बाद उसे ब्रेन डेड घोषित किये जाने के बाद उमंग के परिवार वालों ने उनके अंगों को दान कर दिए. बेटे उमंग की मौत के बाद परिवार वालों ने ये फैसला लेकर मानवता की मिसाल पेश कर दी. उमंग गलाडा के माता-पिता ने स्वेच्छा से उस हॉस्पिटल से कॉन्टैक्ट किया, जहां उसे ब्रेन डेड घोषित किया गया था. उन्होंने हॉस्पिटल से जरूरतमंदों की मदद के लिए उसके अंगों को दान करने की इच्छा व्यक्त की.
गौरतलब है कि उमंग गलाड़ा पिछले एक साल से वह किडनी फेल्योर से जूझ रहा था। हफ्ते में तीन बार की डायलिसिस, डॉक्टरों के चुभते सुई वाले दिन, और थकाऊ इलाज की प्रक्रिया को भी उसने मुस्कान और धैर्य से झेला। वह केवल एक मरीज़ नहीं था, वह एक उदाहरण था — हिम्मत, जिज्ञासा और जज़्बे का।
उमंग पढ़ाई में अव्वल था। उसे अभिनय का भी शौक़ था और उसने कई लघु फ़िल्मों में अभिनय कर पुरस्कार जीते थे। उसकी उंगलियाँ तबले पर थिरकती थीं, तो दिमाग़ रोबोटिक मॉडल्स और एआई गेम्स डिजाइन करता था। वह कोडिंग भी करता था, और रसोई में कुछ नया पकाने का भी शौक़ रखता था। और सबसे बड़ी बात — वह हर किसी के चेहरे पर मुस्कान ला सकता था, किसी भी कमरे को अपनी उपस्थिति से रौशन कर सकता था।
मीडिया रि्पोर्ट्स के अनुसार उमंग की माँ, ज्योति, ने जब देखा कि बेटे को नया जीवन देने के लिए कोई उपयुक्त किडनी दाता नहीं मिल रहा, तो उन्होंने खुद अपना गुर्दा देने का निर्णय ले लिया — भले ही उनका रक्त समूह मेल नहीं खाता था। 15 मई को ऑपरेशन हुआ। कुछ समय तक सब सामान्य रहा, लेकिन फिर अचानक उमंग को दिल का दौरा पड़ा। और वह इस दुनिया से चला गया।
अपने बेटे की इस अनहोनी के बीच भी, माता-पिता ने ऐसा निर्णय लिया जिसे सुनकर रूह काँप जाती है। उन्होंने अपने बेटे के अंग दान कर दिए। उमंग का लीवर एक व्यक्ति को जीवन दे गया। उसकी दोनों आँखें दो अलग-अलग लोगों को दुनिया की रौशनी लौटा गईं।
इस तरह उमंग, पश्चिम बंगाल का सबसे कम उम्र का मरणोपरांत अंगदाता बन गया।
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