नई दिल्ली, 17 नवंबर, (वीएनआई) अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई है। वहीं शेख हसीना ने इस फैसले को पक्षपाती और राजनीति-प्रेरित बताते हुए न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग का आरोप लगाया है और उनके समर्थकों में गहरा तनाव फैला है।
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने 78-वर्षीय हसीना को 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं का मास्टरमाइंड माना गया है। साथ ही, उनके तत्कालीन गृह मंत्री असद-उज-जमां खान कमाल को भी 12 हत्याओं में दोषी कर फांसी की सजा सुनाई गई है। गौरतलब है यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दोनों नेता पिछले 15 महीनों से भारत में निर्वासित हैं।
हसीना ने मौत की सजा सुनाए जाने के बाद कहा , यूनुस शासन में सार्वजनिक सेवाएं चरमरा गई हैं, पुलिस सड़कों से पीछे हट चुकी है और अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है। उन्होंने दावा किया कि देश की अपराध-ग्रस्त सड़कों पर राजनीतिक हमले आम हो गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के संरक्षण में उनके दल अवामी लीग के कार्यकर्ताओं और नेताओं पर लगातार हमले हो रहे हैं, और इन मामलों में न्यायिक निष्पक्षता पूरी तरह ध्वस्त है। हसीना ने आरोप लगाया कि हिंदुओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं, महिलाओं के अधिकारों का दमन किया जा रहा है, और सरकार इन हमलों को रोकने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि सरकारी ढांचे के भीतर मौजूद इस्लामी कट्टरवादी, जिनमें हिज़्ब-उत-तहरीर से जुड़े लोग भी शामिल हैं, बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष विरासत को कमजोर कर रहे हैं। हसीना ने दावा किया कि यूनुस शासन में पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा रहा है और मीडिया पर दमन बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है और इस बात की पुष्टि अंतरराष्ट्रीय मीडिया, NGO, स्वतंत्र संस्थानों और IMF की रिपोर्ट भी करती हैं।
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