पेरिस, 23 अप्रैल फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव के प्रथम चरण के लिए रविवार को वोट डाले जा रहे हैं, जिसके मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। राजधानी पेरिस में तीन दिन पहले ही पुलिस को निशाना बनाकर हमला किया गया था। फ्रांस इससे पहले भी कई आतंकवादी हमलों का सामना कर चुका है, जिसे ध्यान में रखते हुए कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था की गई है।
मतदान के लिए देशभर में बनाए गए कुल 66,500 मतदान केंद्रों पर स्थानीय समयानुसार सुबह आठ बजे मतदान शुरू हुआ था।
गार्जियन की रपट के मुताबिक, देश के बाहर फ्रांसीसी मतदाताओं ने शनिवार को मतदान शुरू किया। 4.7 करोड़ पंजीकृत मतदाता मतदान में भाग ले सकते हैं।
देश के भावी राष्ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनाव में 11 उम्मीदवार मैदान में हैं। प्रथम चरण में यदि शीर्ष उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से कम वोट मिलता है, तो शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच दूसरे चरण के तहत सात मई को चुनाव होगा, और प्रथम आने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाएगा।
चार उम्मीदवारों को इस दौड़ में सबसे प्रबल उम्मीदवार माना जा रहा है। ये हैं कंजर्वेटिव उम्मीदवार फ्रांस्वा फिलन, धुर दक्षिणपंथी मरीन ले पेन, उदार मध्यमार्गी एमानुएल मैक्रोन और धुर वामपंथी ज्यां-लक मेलेंकन।
मौजूदा राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। वह फ्रांस के आधुनिक इतिहास में ऐसा करने वाले पहले नेता हैं, जो दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव मैदान में नहीं हैं।
गार्जियन की रपट के मुताबिक, गुरुवार को हुए आतंकवादी हमले के बाद देश में करीब 50,000 पुलिसकर्मियों और 7,000 सैन्यकर्मियों की तैनाती की गई है।
हिंसक अपराधों के लिए 14 साल कैद की सजा काट चुके करीम शेउर्फी ने गुरुवार को पेरिस में अधिकारी जेवियर जगेले की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बाद में सुरक्षा बलों ने उसे मार गिराया था।
इस हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ली है।
सभी उम्मीदवारों ने आव्रजन, अर्थव्यवस्था और फ्रांसीसी पहचान समेत कई मुद्दों को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया है। चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा एक प्रमुख मुद्दा रहा है।
प्रमुख उम्मीदवारों ने शुक्रवार को प्रचार के अंतिम दिन प्रचार रद्द करके टेलीविजन पर अपने बयानों में बढ़चढ़ कर सुरक्षा के कड़े कदम उठाने और आईएस से निपटने से संबंधित बयान दिए थे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रमुख दावेदारों के बीच कड़ा मुकाबला है और किसी भी उम्मीदवार को स्पष्ट जीत के लिए जरूरी 50 प्रतिशत वोट मिलने की उम्मीद नहीं है।