संयुक्त राष्ट्र, 26 मई (वीएनआई)| संयुक्त राष्ट्र के अर्थशास्त्री सेबेस्टियन वरगारा का कहना है कि भारत वैश्विक व्यापार से जुड़े तनाव से निपटने की अच्छी स्थिति में है और सही नीतियों के साथ आठ फीसदी से अधिक विकास दर हासिल कर सकता है और उस पर बना रह सकता है।
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक मामलों के अधिकारी सेबेस्टियन वरगारा ने साक्षात्कार के दौरान कहा, "यदि निकट भविष्य में व्यापार तनाव की वजह से वैश्विक व्यापार नकारात्मक ढंग से प्रभावित होता है तो भारत इससे निपटने की अच्छी स्थिति में है। यह पूछने पर कि यदि व्यापार युद्ध नियंत्रण से बाहर हो जाता है और वैश्विक विकास दर 1.8 फीसदी तक लुढ़क जाती है तो सबसे बुरी स्थिति क्या होगी, उन्होंने कहा, "भारत यकीनन इससे प्रभावित होगा लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था के उत्पादनकारी ढांचे की वजह से यह प्रभाव इतना अधिक नहीं होगा। संयुक्त राष्ट्र वैश्विक अर्थव्यवस्था जांच शाखा के प्रमुख डॉन होलैंड ने पिछले सप्ताह चेतावनी दी थी कि यदि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा व्यापार युद्ध शुरू किया जाएगा तो इसका असर बाकी देशों और सेक्टर पर पड़ेगा, जिससे अगले साल वैश्विक आर्थिक विकास दर 1.8 फीसदी तक लुढ़क सकती है। उन्होंने आईएएनएस को बताया, भारत इन झटकों से आंशिक रूप से बचा हुआ है क्योंकि यह कारोबार के लिए उतना खुला हुआ नहीं है, जितना कि अन्य पूर्वी एशियाई देश।
संयुक्त राष्ट्र ने मौजूदा स्थितियों को ध्यान में रखते हुए अगले साल के लिए विकास दर का अनुमान 3.2 फीसदी रखा है। वरगारा ने कहा कि भारत का सेवा क्षेत्र मध्यावधि में संरक्षणवादी रुख के प्रति संवेदनशील नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत का सेवा क्षेत्र निर्यात वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बना हुआ है और इसमें अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, "भारत के लिए छोटी अवधि के तनावों के बावजूद सेवाओं के निर्यात के लिए मध्यावधि में संभावनाएं बेहतरीन हैं इसलिए भारत को इस प्रतिस्पर्धा से लाभ लेने की जरूरत है। वरगारा ने कहा कि भारत में आर्थिक हालात सुधर रहे हैं। भारत में अगले साल विकास दर इस साल 7.5 फीसदी की तुलना में बढ़कर 7.6 फीसदी रहने का अनुमान है लेकिन यह इसकी क्षमता से कम ही है। उन्होंने कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था कम से कम आठ फीसदी की तक बढ़ सकती है, सिर्फ एक या दो साल के लिए नहीं बल्कि 15 वर्षो के लिए।"
उन्होंने कहा, भारत को यह विकास दर अपने लक्ष्य के तौर पर रखनी चाहिए तभी वह विकास के मामले में बड़ी छलांग लगा सकती है और मध्यावधि में वैश्विक आर्थिक विकास का वाहक बन सकती है। उन्होंने कहा कि भारत की विकास दर बढ़ाने का मुख्य कदम नवाचार के जरिए उत्पादनकारी क्षमताओं में सुधार करना है। उन्होंन कहा कि वित्तीय क्षेत्र में अगले सुधार विदेशी निवेश को बढ़ावा देना और विकास के लिए नए नीतियां और कार्यक्रमों को तैयार करना है। उन्होंने कहा कि निवेश काफी लंबे समय से कमजोर रहा है और नए सुधारों और कदमों की वजह से इसमें जान फूंकने की जरूरत है। वरगारा ने कहा, "सरकार पिछले साल पहले ही कुछ नीतियों को पेश कर चुकी हैं, उदाहरण के तौर पर सार्वजनिक बैंकों का पुनर्मुद्रीकरण और ये नीतियां यकीनन सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं।"
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