लंदन 7 फरवरी (वीएनआई) अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप द्वारा सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों पर अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाने के फैसले को अगर लागू किया गया तो भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है
ये दलील अमरीका के दो राज्यों के वकीलों ने दी है. वॉशिंगटन और मिनिसोटा के काउंसल ने सैन फ्रांसिस्को के फ़ेडरल कोर्ट में कहा है कि इस प्रस्ताव पर पाबंदी जारी रहनी चाहिए.
डोनल्ड ट्रंप के इस प्रस्ताव को सिएटल की एक अदालत के न्यायाधीश ने लंबित कर दिया था.
इसके बाद अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने उस न्यायाधीश की आलोचना की है जिन्होंने सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों के अमरीका आने पर रोक के ट्रंप के फ़ैसले पर रोक लगा दी थी.
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अगर कुछ होता है तो अमरीकी लोग कोर्ट को दोष देंगे. ट्रंप ने ये भी कहा है कि उन्होंने सीमा पर तैनात अधिकारियों को अमरीका आने वाले लोगों पर सावधानी से नज़र रखने को कहा है.
गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन के कार्यकारी आदेश में कहा गया था कि इराक़, सीरिया, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन से कोई भी व्यक्ति 90 दिनों तक अमरीका नहीं आ सकेंगे.
इसी आदेश के तहत अमरीका के शरणार्थी प्रवेश कार्यक्रम को 120 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था.
साथ ही सीरियाई शरणार्थियों के अमरीका में आने पर अनिश्चतकाल के लिए रोक लगा दी गई थी.
गत शुक्रवार को सिएटल की अदालत के न्यायाधीश ने ट्रंप के ट्रैवल बैन पर रोक लगा दी थी. बाद में शनिवार को ट्रंप के अधिकारियों ने जब ये पाबंदी हटाने का अनुरोध किया तो अदालत ने उसे भी नामंजूर कर दिया. इसके अलावा तकनीकी जगत की दिग्गज कंपनियों माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल और गूगल समेत सिलिकॉन वैली की करीब 97 कंपनियों ने भी ट्रंप के आदेश के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की है. कंपनियों ने इसे कानून एवं संविधान का ‘उल्लंघन’ बताया है.
अदालत में रविवार को दाखिल किए गए दस्तावेज के अनुसार 'अमेरिका में प्रवेश करने के नियमों में अचानक किए गए बदलाव से अमेरिकी कंपनियों को बहुत नुकसान पहुंचा है.' इस दस्तावेज का समर्थन टि्वटर, नेटफ्लिक्स और उबर ने भी किया है. एक समाचार एजेंसी की खबर के अनुसार यह दस्तावेज रविवार को नाइंथ सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स में दाखिल किया गया.