प्योंगयोंग/नई दिल्ली,२९ मई(वी एन आई)अंतर राष्ट्रीय समुदाय की कड़ी आलोचना और कोरियाई प्रायद्वीप में मंडराते जंग के बादलों के बीच उत्तर कोरिया ने आज एक और मिसाइल टेस्ट किया. ये तीन हफ्तों में इस तरह का तीसरा परीक्षण है. उत्तर कोरिया इस साल 12 बार मिसाइल परीक्षण कर चुका है. माना जा रहा है कि परीक्षणों का ये सिलसिला महाद्वीपों को लांघकर मार कर सकने वाली मिसाइल तकनीक हासिल करने की उत्तर कोरिया की मुहिम का हिस्सा है.दक्षिण कोरिया और जापान ने तुरंत इस परीक्षण का विरोध किया। दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ की ओर से जारी बयान के अनुसार, यह मिसाइल कांगवोन प्रांत के वोनसान के पास से कोरियाई प्रायद्वीप की ओर दागी गई। बयान के मुताबिक, यह स्कड श्रेणी की मिसाइल हो सकती है। बयान के मुताबिक, मिसाइल ने लगभग 450 किलोमीटर का सफर तय किया।
पड़ोसी जापान का कहना है कि ये मिसाइल जापान सागर में उसके तट से 200 नॉटिकल मील की दूरी पर गिरी. अमेरिकी सेना के मुताबिक ये कम दूरी की बैलेस्टिक स्कड मिसाइल थी. इसने 6 मिनट में करीब 450 किलोमीटर का सफर तय किया. इस साल ये दूसरा मौका है जब उत्तर कोरिया की ये मिसाइल जापानी सीमा के नजदीक गिरी है.उत्तर कोरिया ने आज सुबह छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है, जो समुद्र में जा गिरी।
दक्षिण कोरिया और अमेरिका अतिरिक्त सूचनाओं पर नजर बनाए हुए हैं। हमारी सेना उत्तर कोरिया सेना पर नजर बनाए हुए है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि मिसाइल ने लगभग छह मिनट की दूरी तय की। जापान का कहना है कि मिसाइल जापान के विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) में जा गिरी। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे का कहना है कि उन्होंने इस मिसाइल को लेकर उत्तर कोरिया के समक्ष विरोध दर्ज कराया है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन ने आज राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई थी।
उत्तर कोरिया के धुर-विरोधी दक्षिण कोरिया ने मिसाइल परीक्षण की निंदा की है. सिओल ने इसे 'गंभीर चेतावनी' करार दिया. दक्षिण कोरिया में हाल ही में उदारवादी विचारधारा के मून जे इन प्रधानमंत्री बने हैं. मिसाइल टेस्ट के बाद जारी बयान में दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'नए नेतृत्व के चुनाव के बाद ये टेस्ट शांति बहाली की हमारी कोशिशों के लिए सीधी चुनौती है.' गौरतलब है कि श्री इन ने संबंध सामान्य बनाने की मुहिम के तहत यह तक कह डाला था कि वे जरूरत पड़ने पर प्योंग्योंग तक जाने को तैयार है,ऐसा माना जा रहा है कि इस तरह के परीक्षण इस दिशा मे किये जा रहे प्रयासो को ठेस लगती है.
अमेरिका और इलाके में उसके सहयोगी देशों के दबाव के बावजूद अमेरिका के खिलाफ उत्तर कोरिया के तल्ख तेवर बरकरार हैं. पिछले हफ्ते हुए जी-7 देशों के सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भरोसा दिलाया था कि उत्तर कोरिया की समस्या को सुलझाया जाएगा. प्योंगयोंग के करीबी देश चीन ने भी मिसाइल परीक्षणों के खिलाफ अपना रुख साफ किया है. उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की परमाणु परीक्षण की धमकी के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में उसके खिलाफ पाबंदियां कड़ी करने की मांग उठने लगी है. सुरक्षा परिषद उत्तर कोरिया को परमाणु टेस्ट ना करने की चेतावनी दे चुका है.